Tuesday, April 11, 2017

कृपया गाय को कलंकित ना करें

गौसेवा, गौरक्षक और गोरखधंधा




दादरी से लेकर अलवर तक जो मनुष्य की कथित हत्या का जो मामला सामने आया है उसकी वजह गाय है, जिसे हम श्रद्दा से गौमाता कहते हैं । गौमाता को लेकर गौरक्षकों की सेना पता नहीं हाल- फिलहाल के दिनों में कहां से खड़ी हो गई? प्रधानमंत्री ने भी इस बात को भांप लिया है और उन्होंने ये कहने में देर नहीं कि इस देश में गौरक्षा के नाम पर हो रहा गोरखधंधा बन्द होना चाहिए । बंद तो अवैध बूचड़खाने भी होने चाहिए सो यूपी के सीएम ने सबसे पहले रातों- रात अवैध बूचड़खाने बंद करा दिये ।  तो एक तरफ हजारों लोगों के बेरोजगार होने का मुद्दा उठा कर सड़क से लेकर सोशल-नेटवर्किंग साइट तक लोगों ने आंदोलन छेड़ रखा है । एक तरफ गाय के नाम पर हो रही हत्या को लेकर राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंकने का कोई मौका नहीं जाने देना चाहती । इसके समाधान से किसी को कोई मतलब नहीं है बस समस्या बनी रहे । इससे बहाने मीडिया को भी मसाला मिल रहा है उसके एंकर चीख -चीख कर टीआरपी बटोर रहे हैं ।

अब जो देश का आम आदमी है उसकी चिंता ये है करें तो करें क्या ? एक वर्ग कहता है बीफ के नाम पर गायों का कत्लेआम बंद होना चाहिए  । एक वर्ग कहता है कि बीफ के कारोबार बंद हो गया तो उनकी रोजी -रोटी का क्या होगा । कहीं  बीफ के नाम पर एक वर्ग विशेष का टारगेट किया जा रहा है तो कहीं बीफ के धंधे में उस संप्रदाय के लोग शामिल है जिनके धर्म में गाय का माता का दर्जा हासिल है । इस बीच कुछ पाश्चात्य  विद्वानों ने ये मत रख दिया की जुगाली करने के दौरान गायें जो डकार छोड़ती है उससे मीथेन गैस निकलती है जिसके कारण सबसे ज्यादा नुकसान ओजोन परत को होता है ।

इन सब बातों से बेखर गौ-माता दूध लगातार दे रही हैं लोगों का स्वास्थ्य बन रहा है । गौमाता के गोबर से भूमि उर्वरा हो रही है । गोबर का इस्तेमाल ईधन में भी हो रहा है । गोमूत्र  से दवाईंयां भी बन रही है । गाय की मृत्यु के बाद उसके चमड़े का भी इस्तेमाल हो रहा है । गाय की तरफ से ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि उसका इस्तेमाल सिर्फ हिंदू करेगा या फिर सिर्फ मुसलमान करेगा या फिर फला जाति के लोग ही करेंगे  । हर संप्रदाय के लोग गाय के गुणों क लाभ ले रहे हैं ।

अब आइये गाय के पौराणिक महत्व को भी समझ लेते हैं । हिंदुओं की मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करो़ड़ देवी -देवताओं का वास है । कुछ हिंदु विद्वान इसे अनंत गुणों के जोड़ कर देखते हैं । हिंदु पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस धरती पर गाय अमृत मंथन से प्रगट हुई थी । जिसे कामधेनु के नाम से जाना गया ।  भगवान राम के गुरू वशिष्ट के आश्रम में रहती थी कामधेनु । जिसे प्राप्त करने के लिए राजा विश्वामित्र ने बलपूर्वक  प्रयास किया लेकिन कामधेनु को वो हासिल ना सकें । कामधेनु के सामने अपने सारे वैभव को बौना पाकर कर विश्वामित्र राजा से ऋषि बन गये । यानी एक गाय ने अहंकारी मनुष्य को संत बनने पर मजबूर कर दिया ।

फिर एक पौराणिक कथा है देश के सबसे प्रसिद्द तिरूपति बालाजी की । जहां भगवान विष्णु एक अंधेरी गुफा में अज्ञातवास कर रहे थे । तब शिव और ब्रम्हा धऱती पर गाय औऱ बछड़े के रूप में वहां रह कर भगवान को अपना दूध पिलाने लगे । जब उनके ग्वाले ने देखा की गाय अपना सारा दूध रोज उस गुफा पर उतार देती है तो गुस्से से आग बबूला हो ग्वाले ने अपनी कुल्हाड़ी शिव रुप धारी गाय पर दे मारी । तब ध्यान में मग्न विष्णु , गाय और कुल्हाड़ी के बीच आ गये और उनके माथे पर घाव बन गया । तब लेकर अब तक तिरुपति बालाजी के माथे पर चंदन का लेप लगाने की  परंपरा बन गई ।  भगवान चाहते तो ग्वाले को मार सकते थे लेकिन ग्वाले के गुस्से और अज्ञानता को उन्होंने अपने ऊपर ले लिया ।  गाय के नाम पर तो मौका पाकर भी भगवान ने नर संहार नहीं किया ।

भगवान कृष्ण ग्वाल बाल थे । गौ के सबसे बड़े रक्षक । गायों को सुरक्षित जंगल लेकर जाना और  लेकर आना उनका कतर्व्य था । लेकिन इस दौरान कभी ऐसी कोई कथा नहीं आती कि उन्होंने गाय के नाम पर किसी की हत्या की हो  । दूध देनवाली गाय भारत में कभी भी रक्त  पिपासु जीव नहीं रही । लेकिन मौजूदा दौर में नफरत की  हवा कुछ ऐसी चली है कि निर्दोष गाय पर मानव रक्त के दाग लग गये हैं ।

कोई इन  गौ -रक्षकों समझाएं कि कि गौ की रक्षा ही करनी है कि  कृष्ण की तरह करें ।  ये चिंता करें की भूख के बिलबिलाती हमारी गौ-माता कैसे विषाक्त पोलीथीन को खा रही है । ये उनके साथ- साथ हमारे जीवन के लिए कितना ज्यादा खतरनाक है । कैसे गायें आवारा  सड़कों पर घूमती है और कोई भी वाहन उन्हें ठोकर मार कर निकल जाते हैं । कैसे इस देश में दर्जनों गायें रोज ट्रेनों के नीचे आकर और भारी वाहनों से टकरा कर मर जाती है । गायें जब दूध देना बंद कर देती है तो उनके मालिक उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं औऱ वो भूख- प्यास से  मर जाती हैं । अगर आप सच्चे गौ-रक्षक है  तो पहले उन भूखे- प्यास से तड़पती  गायों की चिंता करिये  ।

 इन कथित गौरक्षकों को कोई ये बताओं की जिस गाय को बचाने लिए भगवान विष्णु ने कुल्हाड़ी की मार सह ली थी उस गौ के नाम पर तुम किसी जान कैसे ले सकते हो? गाय कि रक्षा ही करनी है तो मथुरा के कृष्ण की तरह उसके भोजन का प्रबंध करो. उसके लिए पानी का प्रबंध करो, उसके लिए छाया का प्रबंध करों । एक गाय अहंकारी राजा विश्वामित्र को ऋषि बना सकती है तो उस गाय के नाम पर आप कैसे असुरों का व्यवहार कर सकते हो ?

अगर ये मानते हो कि गाय ये देवता वास करते हैं फिर उसके नाम पर दया और करूणा का प्रदर्शन करो । दादरी और अलवर की सच्चाई मुझे नहीं पता लेकिन लेकिन इतना पता है गाय इस धरती पर कभी भी मनुष्य के मृत्यु का कारण नहीं रही वो तो सदा सनातन से मानव की अमरता का,  उसके अमृत्व का कारण रही है इसलिए सच्चे गौरक्षक बनो उसे नरसंहार के कथित कलंक से बचाओं । तभी बचेगी हमारी महान संस्कृति हमारी महान सभ्यता ।

6 comments:

  1. देश में चल रही दूषित हवा से दूर ले जाती एक नई सोच। बहुत बढ़िया भैया।।

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  2. दादरी और अलवर की सच्चाई मुझे नहीं पता लेकिन लेकिन इतना पता है गाय इस धरती पर कभी भी मनुष्य के मृत्यु का कारण नहीं रही वो तो सदा सनातन से मानव की अमरता का, उसके अमृत्व का कारण रही है इसलिए सच्चे गौरक्षक बनो उसे नरसंहार के कथित कलंक से बचाओं ।

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  3. Good thought....Gau Ke itihas Ki jankari di v Gau mahtv ko samjhaya v sachchi gaurakchcha aaj Ke pradushit call me apne samjhaya apki gaumata ke prati sachchi bhakti bhav soch ko barambar pranam...charan sparas...abhishek shrivastava

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  4. @abhishek - dhanyawad..aap ki kripa u hee banee rahe ..husala milta hai. @ravi - shukriya @gaurav - sahamati ke liye shukriya

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  5. @abhishek - dhanyawad..aap ki kripa u hee banee rahe ..husala milta hai. @ravi - shukriya @gaurav - sahamati ke liye shukriya

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  6. Good Thought. श्रीधर, Requesting to please do not associate Guru Gorakh with any Immoral "धंधा". Guru Gorakh is Yogic menifestation of Lord Shiva. Associating Guru Gorakh with any Immoral activity is disrespect of Lord Shiva. It hurts the sentiments of devotees of Guru GorakhNath. Requesting Please take note of our request n do not promote the word "गोरख धंधा" going forward.

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