Friday, June 17, 2016

सब ठीक है लेकिन .. पार्ट -4

एक बार अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आय कर को समझना दुनिया में सबसे कठिन  है । भारत में  जो सबसे ज्यादा कमाई करते है वो उनके पास आयकर चुराने के हजारों तरीके है । और जो वेतन भोगी है वो  टैक्स चुकाने से बच नहीं सकते। 125 करोड़ लोगों के देश में लगभग सिर्फ 5 करोड़ लोग टैक्स देते है । और एक अध्ययन के मुताबिक इतनी तादाद में लोग  सीधे- सीधे इतना ही टैक्स चुरा लेते है । अब भारत के प्रधानमंत्री मोदी की नजर उन पांच करोड़ लोगों पर है । शुक्रवार को आयकर अधिकारियों के एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने आह्वान किया भारत में करदाताओं की संख्या बढ़ाकर 10 करोड़ की जाय । आप सब जानते है कारोबारी, वकील, ठेकेदार , नेता ,डॉक्टर, सीए, कोचिंग शिक्षक जैसे संभ्रात पेशवर लोग आयकर विभाग को चकमा देने में कामयाब हो जाते हैं । और जानिए इस देश में करोड़ों लोगों ऐसे है जिनके लिए लहसुन और प्याज खाना पाप लेकिन रिश्वत खाने में, कर चुराने में कोई पाप नहीं । लेकिन मोदी की मान्यता है कि देश में ज़्यादातर लोग ईमानदार हैं, वे खुद ही टैक्स का भुगतान कर देंगे.। और उसके लिए उन्होंने मंत्र भी दिया है कैसे जवाबदेही सुनिश्चित की जाय । कैसे सत्यनिष्ठा को स्थापित किया जाये । सब ठीक है लेकिन इतने सालों में सरकार करदाओं को ये विश्वास नहीं दिला सकी उनके पैसे का सदुउपयोग होगा ।
सब ठीक है लेकिन आज भी इस देश में सबको  मुफ्त औऱ अच्छी शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है ।
सब ठीक है लेकिन आज भी इस देश में सबको मुफ्त औऱ अच्छी स्वास्थ्य सुविधा का कोई इंतजाम नहीं है ।
सब ठीक है लेकिन आज भी इस देश में सबको साफ पीने का पानी मिल पाता ।
सब ठीक है लेकिन सड़क , बिजली, रोजगार , निर्माण कार्यों औऱ सामाजिक कल्याण जैसे कार्यक्रमों के नाम पर नेता औऱ अधिकारी बेखौफ लूटते हैं ।
सब ठीक है लेकिन जब तक आप कर दाताओं को ये यकीन नहीं दिलाएंगे उनके पैसे का इस्तेमाल सही जगह हो रहा है आप करदाताओं की संख्या नहीं बढ़ा सकते प्रधानमंत्री जी । पांच करोड़ टैक्स पेयर के मत्थे 125 करोड़ लोगों की बात करने वाले प्रधानमंत्री जी कम से कम इस देश के करदाताओं को उनके हिस्से का सम्मान ही दिला दीजिए ।    

9 comments:

Smita Rajesh said...

ये मसला वाकई गंभीर है। ये सत्य स्थापना तो करनी ही होगी की 5 करोड़ स्वतः ईमानदार या मजबूरी के बने करदाताओं का पैसा सही इस्तेमाल किया जा रहा है। आवाज़ उठानी होगी।

jaideep shukla said...

Hmmmmm wakai...interesting fact

jaideep shukla said...

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jaideep shukla said...

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Unknown said...

Ek dam sahi

Unknown said...

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Shilpa Sharma said...

ये एक संजीदा मसला है। केवल वेतनभोगियों से तुरत फुरत टैक्स वसूली कर लेती है सरकार। बहुत से लोग जिनकी आय बहुत ज़्यादा है टैक्स देने से बचते हैं, जिनका ज़िक्र तुमने कर ही दिया है श्रीधर! टैक्स देने वालों को रिटायरमेंट के बाद कम से कम आजीवन मुफ़्त या सब्सिडी वाली चिकित्सा सुविधा देने की पहल करनी चाहिए सरकार को, ताकि लोग मन मार कर टैक्स न दें। मध्यम वर्ग से सब छीनना चाहते हैं, उसे कुछ लौटाने की बात कभी नहीं करती सरकारें...ये दुखद है

Shilpa Sharma said...

ये एक संजीदा मसला है। केवल वेतनभोगियों से तुरत फुरत टैक्स वसूली कर लेती है सरकार। बहुत से लोग जिनकी आय बहुत ज़्यादा है टैक्स देने से बचते हैं, जिनका ज़िक्र तुमने कर ही दिया है श्रीधर! टैक्स देने वालों को रिटायरमेंट के बाद कम से कम आजीवन मुफ़्त या सब्सिडी वाली चिकित्सा सुविधा देने की पहल करनी चाहिए सरकार को, ताकि लोग मन मार कर टैक्स न दें। मध्यम वर्ग से सब छीनना चाहते हैं, उसे कुछ लौटाने की बात कभी नहीं करती सरकारें...ये दुखद है