क़द्र अब तक तिरी तारीख़ ने जानी ही नहीं
तुझ में शोले भी हैं बस अश्कफ़िशानी ही नहीं
तू हक़ीक़त भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं
तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं
अपनी तारीख़ का उनवान बदलना है तुझे
कैफी आजमी की लिखी इन पंक्तियों में बहुत असर है । फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने शनिवार को इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। शनिवार सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। इन वुमन फाइटर पायलट्स को कर्नाटक के बिदर में स्टेज-3 की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहां इन्हें 6 महीने तक एडवांस्ड जेट ट्रेनर हॉक उड़ाना सिखाया जाएगा। इसके बाद वे सुपरसोनिक वॉरप्लेन्स उड़ाएंगी । यानी की खेल, विज्ञान, राजनीति , अंतरिक्ष, एवरेस्ट, उद्योग-कारोबार, सिनेमा, लगभग हर जगह भारत की बेटियों ने अपना लोहा मनवा लिया है । जिस बेटी ने हिम्मत दिखाई जिसने हौंसला दिखाई उसने आसमान को झुका दिया ।
सब ठीक है लेकिन क्यों कई समाज में बेटियों को पैदा होने से पहले मार दिया जाता है?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई परिवारों में बेटियों के जन्म पर मातम जैसा माहौल हो जाता है?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई इलाकों में बेटियां स्कूल नहीं जा पाती ?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई जगहों पर बेटियां जब तक घर नहीं आ जाती मां-बाप की जान हलक में अटकी रहती है?
सब ठीक है लेकिन कई घरों में रसोई गैस के सिलेंडर और केरोसिन बेटियों और बहुओं में फर्क कैसे कर लेते हैं ?
सब ठीक है लेकिन हम गालियों में भी उनकों क्यों नहीं बख्शते?
सब ठीक है लेकिन ...इस लेकिन ने कैफी साहब का भी चैन छीन लिया और इसीलिए उन्हें कहना पड़ा
गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये
फ़र्ज़ का भेस बदलती है क़ज़ा तेरे लिये
क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा तेरे लिये
ज़हर ही ज़हर है दुनिया की हवा तेरे लिये
रुत बदल डाल अगर फूलना फलना है तुझे
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
तुझ में शोले भी हैं बस अश्कफ़िशानी ही नहीं
तू हक़ीक़त भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं
तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं
अपनी तारीख़ का उनवान बदलना है तुझे
कैफी आजमी की लिखी इन पंक्तियों में बहुत असर है । फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने शनिवार को इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। शनिवार सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। इन वुमन फाइटर पायलट्स को कर्नाटक के बिदर में स्टेज-3 की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहां इन्हें 6 महीने तक एडवांस्ड जेट ट्रेनर हॉक उड़ाना सिखाया जाएगा। इसके बाद वे सुपरसोनिक वॉरप्लेन्स उड़ाएंगी । यानी की खेल, विज्ञान, राजनीति , अंतरिक्ष, एवरेस्ट, उद्योग-कारोबार, सिनेमा, लगभग हर जगह भारत की बेटियों ने अपना लोहा मनवा लिया है । जिस बेटी ने हिम्मत दिखाई जिसने हौंसला दिखाई उसने आसमान को झुका दिया ।
सब ठीक है लेकिन क्यों कई समाज में बेटियों को पैदा होने से पहले मार दिया जाता है?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई परिवारों में बेटियों के जन्म पर मातम जैसा माहौल हो जाता है?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई इलाकों में बेटियां स्कूल नहीं जा पाती ?
सब ठीक है लेकिन क्यों कई जगहों पर बेटियां जब तक घर नहीं आ जाती मां-बाप की जान हलक में अटकी रहती है?
सब ठीक है लेकिन कई घरों में रसोई गैस के सिलेंडर और केरोसिन बेटियों और बहुओं में फर्क कैसे कर लेते हैं ?
सब ठीक है लेकिन हम गालियों में भी उनकों क्यों नहीं बख्शते?
सब ठीक है लेकिन ...इस लेकिन ने कैफी साहब का भी चैन छीन लिया और इसीलिए उन्हें कहना पड़ा
गोशे-गोशे में सुलगती है चिता तेरे लिये
फ़र्ज़ का भेस बदलती है क़ज़ा तेरे लिये
क़हर है तेरी हर इक नर्म अदा तेरे लिये
ज़हर ही ज़हर है दुनिया की हवा तेरे लिये
रुत बदल डाल अगर फूलना फलना है तुझे
उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे
4 comments:
इस ब्लॉग में सब ठीक है का भाव भारी है सवालों की तल्खी पर ☺
कहीं मन में ख़याल विराजमान था की स्तिथि अभी बेहतर हुई है लड़कियों के मामलों में।
कानून और अधिकार उनके पक्ष में सशक्त हुए हैं ।उम्मीद करें जल्दी ही कुछ और सुधार देखने को मिलेंगे।
इस ब्लॉग में सब ठीक है का भाव भारी है सवालों की तल्खी पर ☺
कहीं मन में ख़याल विराजमान था की स्तिथि अभी बेहतर हुई है लड़कियों के मामलों में।
कानून और अधिकार उनके पक्ष में सशक्त हुए हैं ।उम्मीद करें जल्दी ही कुछ और सुधार देखने को मिलेंगे।
शहरों में फिर भी बेहतर हुए हैं हालात, पर महिलाओं को लेकर हर जगह मानसिकता बदलनी ज़रूरी है...सही लिखा श्रीधर!
http://www.madhyamat.com/its-ok-but-why-girls-are/
इस ब्लॉग को मध्यमत ने भी स्थान दिया ।
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