Wednesday, August 7, 2019

धारा 370 की धार में उलझ गयी कांग्रेस

क्या ये कांग्रेस के खत्म होने का संकेत है?


शाह और मोदी की जोड़ी ने जम्मू और काश्मीर से धारा 370 को खत्म कर एक तीर से कई निशाने लगाये है, जिसमें सबसे अहम था पार्टी के सबसे पुराने संकल्प को सिद्ध करना, दूसरा -विपक्ष पूरी तरह से बिखर गया,  तीसरा- बीजेपी ने पूरे देश में अपने राष्ट्रवाद का डंका पीट दिया, चौथा -ट्रंप और इमरान की मुलाकात का ऐसा मुंहतोड़ जवाब मिलेगा दुनिया ने भी नहीं सोचा था, पांचवां-अलगाववादियों,आंतकवादियों, पाकिस्तान समर्थकों और मलाईदार कश्मीरी परिवारों पर खुल कर  हमला बोला गया लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा नुकसान किसी पार्टी ने झेला तो वो थी कांग्रेस । कांग्रेस को भरी सभा में आपातकाल के बाद भी इस तरह कभी जलील नहीं होना पड़ा होगा ।  

बीजेपी और उसकी समर्थक पार्टियों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस मसले में खलनायक की तरह पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सदन में जिसको जहां मौका मिला नेहरूजी को पानी पी-पी कर कोसा । बीजेपी  सदन के जरिए जनता में ये माहौल बनाने में कामयाब रही कि कांग्रेस और नेहरू की कथित गलतियां देश पर भारी पड़ रही हैं। बीजेपी ने नेहरू को आड़े हाथों लेकर कांग्रेस की चूलें हिला दी।

इससे पहले ट्रिपल तलाक बिल के दौरान आपातकाल, 84 के दंगों और शाहबानों मामले का हवाल देकर  इंदिरा और राजीव गांधी की कथित कमियों को पार्टी ने सदन के जरिए जनता में प्रचारित किया था। प्रधानमंत्री  मोदी के गटर वाले बयान ने कांग्रेस का जीना दूभर कर दिया । राजीव गांधी के मंत्री रहे आरिफ मोहम्मद खान ने कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर लगातार बोला, तथ्यों के साथ बोला और बताया कि राजीव ने वोट बैंक पालिटिक्स के चक्कर में कैसे संविधान को तार- तार किया । इस तरह मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सत्र में हर दिन हर पल जो भी किया उससे कांग्रेस कमजोर, लाचार, बेबस और असहाय होकर रह गई।  

चुनावों के बाद वैसे ही पार्टी नेतृत्वविहीन है, इस मामले में  जैसे -जैसे दिन बीतते जा रहे हैं कांग्रेस अपने दुर्भाग्य का प्रदर्शन करती जा रही है । लेकिन पांच और छह अगस्त को संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस ने जो झेला है वो तो बेहद शर्मनाक रहा । पंडित नेहरू की विरासत को वो लुटते हुए देख ही रही थी तो साथ ही उसने देखा जिस सांसद को राज्यसभा में कांग्रेस के सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी थी उसी शख्स, व्हिप प्रमुख भुवनेश्वर कलिता ने पार्टी और सदन सदस्यता से स्तीफा दे दिया। संजय सिंह पहले ही स्तीफा दे चुके थे । 370 के मसले में पार्टी क्या  स्टैंड ले पार्टी के नेताओं को पता ही नहीं था । इधर पार्टी राज्यसभा में बिल का विरोध कर रही थी और उधर गांधी परिवार के करीबी जनार्दन द्विवेदी ने मोदी और शाह के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि "ऐतिहासिक गलती को सुधारा गया है" इस मामले में द्विवेदी ने लोहिया का उदाहरण भी दिया । इस पर बौखलाएं गुलाम नबी आजाद ने टि्वट के जरिए उन्हे इतिहास की जानकारी ना होने की दुहाई देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
  
राहुल गांधी के दोस्त और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री  भूपेंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा ने भी धारा 370 को हटाये जाने का समर्थन किया । हुड्डा की तरह  राहुल गांधी के एक और करीबी मिलिंद देवड़ा ने भी इस मामले में पार्टी से अलग राय जाहिर की । नेशन फर्स्ट का हवाला देकर ज्योति मिर्धा ने भी अपनी पार्टी की रही सही हवा निकाल दी । इस तरह संसद से लेकर पंचायत स्तर तक कांग्रेस लगातार बिखर रही थी और कांग्रेस के आला नेता देश का मूड भांपने में हर पल देर कर रहे थे और इस कड़ी में सबसे तड़गा झटका दिया राहुल गांधी के सबसे करीबी और पार्टी के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने । सिंधिया ने भले ही संवैधानिक प्रकिया को गलत ठहराया हो लेकिन मोदी और शाह के फैसले का समर्थन करके अपनी पार्टी की कमजोरी को पूरी तरह से एक्सपोज कर दिया।  

शर्मिंदगी के इस दौर में कांग्रेस पार्टी ने सबसे बड़ा तमाशा झेला जब लोकसभा में पार्टी ने नेता अधीर रंजन चौधरी अमित शाह से उलझ गये । एक तरफ अधीर रंजन चौधरी कश्मीर को लेकर यूएन का हवाला दे रहे थे तो बगल में बैठी सोनिया गांधी लगातार अधीर हो रही थी। सोनिया की असहजता का आलम ये था कि वो कभी अधीर रंजन के मुंह की तरफ तांकती तो कभी पीछे बैठे सांसदों की तरफ देखती जैसे वो चाह रही हो कि कोई तो इसे रोको ये क्या बोल रहा है?अधीररंजन ने  कहा '1948 से कश्मीर संयुक्त राष्ट्र के निगरानी के अधीन है। तो, जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन के मद्देनजर, हमारे देश की स्थिति क्या होनी चाहिए? कश्मीर हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंच के ध्यान में रहा है। यदि कश्मीर मुद्दा इतना आसान है, तो कल सरकार को विभिन्न देशों के दूतावासों को संबोधित क्यों किया? मैंने बस सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। इस बयान पर अमित शाह ने कांग्रेस की किरकिरी करने का मौका नहीं छोड़ा । सोनिया गांधी को आखिर में कहना पड़ा की इस मामले में मनीष तिवारी का भाषण  ही कांग्रेस पार्टी की लाइन है।

राजनीति के सारे दिग्गज सारी मीडिया को इंतजार था राहुल गांधी के बयान का । संसद में राहुल की बॉडी लैंग्वेज भी हताशा भरी थी । मानो वो सबकुछ हार चुके हो । आखिर कार छह अगस्त को बारह बज कर सैतीस मिनट पर उनका पहला टि्वट आया जिससे उन्होंने लिखा कि इस मामले में संविधान का उल्लंघन किया गया है। राष्ट्र लोगों से बनता है जमीन के टुकड़े से नहीं । आलोचकों को तुरंत नेहरू का वो बयान याद आ गया जिसमें उन्होंने चीन अधिकृत कश्मीर को बंजर जमीन का टुकड़ा कहा था । साफ दिख रहा है जमीन को छोड़ने जो सिलसिला नेहरूजी ने शुरू किया था अब उस कांग्रेस के नीचे से सारी जमीन ही खिसक चुकी है।

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