ठोको ताली गैंग लेकर इस बार मुसलमानों को डराने निकले हैं सिद्धू
सिद्धू का हालिया बयान ये है कि "मुसलमानों एकजुट होकर मोदी को सुलटा दो" । आजम खान, अतीक अंसारी, मुख्तार अंसारी, शहाबुद्दीन, शकील अहमद, हामिद अंसारी, ताकिर अनवर, अहमद पटेल, उमर अबदुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती और ओवैसी बंधु जैसे तमाम मुस्लिम नेता क्या कम पड़ गये थे जो सिद्धू भी मुसलमानों को डराने की इस होड़ में शामिल हो गये । विपक्ष हर कीमत में इस चुनाव को मोदी वर्सेज मुसलमान बनाने में लगा है और मुसलमानो को ये यकीन दिला रहा है कि वो एकजुट ना हुए तो मोदी आ जाएगा । पहले मुसलमानों को इस देश में आरएसएस के नाम पर डराया गया जो आज भी कायम है । फिर राजनैतिक मंच पर जनसंघ और बीजेपी के नाम पर डराया गया. इस बार मोदी के नाम पर और इस डर को इतने सुनियोजित तरीके से पाला गया है कि मुसलमान भी इस डर से शायद कभी खुद को निकाल नहीं पाया । वो ये भी नहीं सोच पा रहा कि मोदी ने तो सिर्फ पांच साल केंद्र की सरकार चलाई और उसका क्या नुकसान हुआ और क्या फायदा? फायदा तो सिर्फ सिद्धू जैसे नेताओं का तय है जो कल बीजेपी में थे, आज कांग्रेस में और कल पता नहीं किसमें होंगे ।
मुसलमानों को सिद्दू की बात पर यकीन करने से पहले सिद्दू के पुराने भाषणों को सुनना चाहिए जब वो बीजेपी में थे । सिद्धू कोई बहुत विद्वान नहीं है, उनके पास कुछ रटे-रटाये जुमले हैं एक जमाने में जिन जुमलों को उन्होंने बीजेपी नेताओं की चाटुकारिता में चिपकाया था अब वो उन्हीं जुमलों को कांग्रेस के नेताओं पर बिना किसी झिझक के चिपका रहे हैं। उनके पास जुमलों का इतना टोटा है कि यहीं जुमले वो क्रिकेट की कांमेट्री के दौरान इस्तेमाल करते थे । ना कोई सोच, ना कोई विजन बस उनका एक मंत्र है ठोको ताली । ताली ठुकवाने का उनका ये ये विशेष गुण पहली बार प्रकाश में तब आया जब उन्हे लाफ्टर चैलेंज नाम के एक कार्यक्रम में अवसर मिला । बस फिर क्या था जब उन्होंने देखा कि क्रिकेट के छक्कों से ज्यादा मनोरंजक कार्यक्रमों में ताली ठुकवाने में ज्यादा कमाई है उन्होंने टीवी को पकड़ लिया । फिर हर चौके-छक्कों पर ताली ठुकवाने के इस हुनर से सिद्धू एक स्पोर्ट्स चैनल में क्रिकेट कांमेटेटर बन गये । फिर ताली ठुकवाने के लिए ज्यादा बोली लगी तो वो दूसरे टीवी चैनल में पहुंच गये । एक कॉमेडी शो में बकायदा सोफा लगवा कर सिद्धू को ताली ठुकवाने के लिए बैठाया गया । जहां हाल ही में वो ताली ठुकवाने के चक्कर में शो से हाथ धो बैठे ।
ताली ठुकवा ठुकवा कर पैसा कमाने तक तो बात ठीक थी लेकिन पावरगेम में भी इन्होंने ताली ठोकवाने के अपने हुनर को आजमाया और वहां भी कामयाब हो गये । ताली ठुकवा कर पैसा और पावर के खेल में सिद्धू मिसाल बन गये । पहले बीजेपी के लिए ताली बजवाते थे अब कांग्रेस के लिए । मुसलमानों को सोचना होगा पैसा और पावर के लिए ताली बजाने और बजवाने वाले इस शख्स पर भरोसा कर वो अपने कौम की किस्मत कैसे तय करेंगे?
आखिर में एक बात जो ताकत संविधान ने इस देश के हिंदूओं की दी है, सिखों को दी है ईसायों को दी है हर वर्ग और समुदाय के लोगों को दी ही है वही ताकत मुसलमानों के पास भी है । ये संविधान की ताकत है कि तमाम सांप्रदायिक साजिशों के बाद भी इस देश में मुसलमानों का कोई कभी भी बाल बांका ना कर पाया है ना कर पायेगा । जैसे बाकी लोगों ने भारत को गढ़ा है वैसा योगदान मुसलमानों का भी है । उदाहरण है जिन मुसलमानों ने भारत पर यकीन किया, संविधान पर यकीन किया उनकी औलादें अब्दुल कलाम बनकर पूजी जा रही है और सिद्दू जैसे नेताओं के बहकावे में आकर जिन्होंने नफरत की फसलें तैयार की वो अफजल गुरू बन कर रह गये, उनको भारत के संविधान ने वैसे ही दंड दिया जैसे बाकी देशद्रोहियो को । मेरी प्रार्थना है कि मुसलमान इन चुनावों में सिद्धू जैसे ठोको ताली गैंग पर नहीं बल्कि स्वयं के विवेक से वोट करे और जिसे चाहे उसे वोट दे ताकि भारत और भारत का लोकतंत्र कमजोर ना होने पाये
सिद्धू का हालिया बयान ये है कि "मुसलमानों एकजुट होकर मोदी को सुलटा दो" । आजम खान, अतीक अंसारी, मुख्तार अंसारी, शहाबुद्दीन, शकील अहमद, हामिद अंसारी, ताकिर अनवर, अहमद पटेल, उमर अबदुल्ला, मेहबूबा मुफ्ती और ओवैसी बंधु जैसे तमाम मुस्लिम नेता क्या कम पड़ गये थे जो सिद्धू भी मुसलमानों को डराने की इस होड़ में शामिल हो गये । विपक्ष हर कीमत में इस चुनाव को मोदी वर्सेज मुसलमान बनाने में लगा है और मुसलमानो को ये यकीन दिला रहा है कि वो एकजुट ना हुए तो मोदी आ जाएगा । पहले मुसलमानों को इस देश में आरएसएस के नाम पर डराया गया जो आज भी कायम है । फिर राजनैतिक मंच पर जनसंघ और बीजेपी के नाम पर डराया गया. इस बार मोदी के नाम पर और इस डर को इतने सुनियोजित तरीके से पाला गया है कि मुसलमान भी इस डर से शायद कभी खुद को निकाल नहीं पाया । वो ये भी नहीं सोच पा रहा कि मोदी ने तो सिर्फ पांच साल केंद्र की सरकार चलाई और उसका क्या नुकसान हुआ और क्या फायदा? फायदा तो सिर्फ सिद्धू जैसे नेताओं का तय है जो कल बीजेपी में थे, आज कांग्रेस में और कल पता नहीं किसमें होंगे ।
मुसलमानों को सिद्दू की बात पर यकीन करने से पहले सिद्दू के पुराने भाषणों को सुनना चाहिए जब वो बीजेपी में थे । सिद्धू कोई बहुत विद्वान नहीं है, उनके पास कुछ रटे-रटाये जुमले हैं एक जमाने में जिन जुमलों को उन्होंने बीजेपी नेताओं की चाटुकारिता में चिपकाया था अब वो उन्हीं जुमलों को कांग्रेस के नेताओं पर बिना किसी झिझक के चिपका रहे हैं। उनके पास जुमलों का इतना टोटा है कि यहीं जुमले वो क्रिकेट की कांमेट्री के दौरान इस्तेमाल करते थे । ना कोई सोच, ना कोई विजन बस उनका एक मंत्र है ठोको ताली । ताली ठुकवाने का उनका ये ये विशेष गुण पहली बार प्रकाश में तब आया जब उन्हे लाफ्टर चैलेंज नाम के एक कार्यक्रम में अवसर मिला । बस फिर क्या था जब उन्होंने देखा कि क्रिकेट के छक्कों से ज्यादा मनोरंजक कार्यक्रमों में ताली ठुकवाने में ज्यादा कमाई है उन्होंने टीवी को पकड़ लिया । फिर हर चौके-छक्कों पर ताली ठुकवाने के इस हुनर से सिद्धू एक स्पोर्ट्स चैनल में क्रिकेट कांमेटेटर बन गये । फिर ताली ठुकवाने के लिए ज्यादा बोली लगी तो वो दूसरे टीवी चैनल में पहुंच गये । एक कॉमेडी शो में बकायदा सोफा लगवा कर सिद्धू को ताली ठुकवाने के लिए बैठाया गया । जहां हाल ही में वो ताली ठुकवाने के चक्कर में शो से हाथ धो बैठे ।
ताली ठुकवा ठुकवा कर पैसा कमाने तक तो बात ठीक थी लेकिन पावरगेम में भी इन्होंने ताली ठोकवाने के अपने हुनर को आजमाया और वहां भी कामयाब हो गये । ताली ठुकवा कर पैसा और पावर के खेल में सिद्धू मिसाल बन गये । पहले बीजेपी के लिए ताली बजवाते थे अब कांग्रेस के लिए । मुसलमानों को सोचना होगा पैसा और पावर के लिए ताली बजाने और बजवाने वाले इस शख्स पर भरोसा कर वो अपने कौम की किस्मत कैसे तय करेंगे?
आखिर में एक बात जो ताकत संविधान ने इस देश के हिंदूओं की दी है, सिखों को दी है ईसायों को दी है हर वर्ग और समुदाय के लोगों को दी ही है वही ताकत मुसलमानों के पास भी है । ये संविधान की ताकत है कि तमाम सांप्रदायिक साजिशों के बाद भी इस देश में मुसलमानों का कोई कभी भी बाल बांका ना कर पाया है ना कर पायेगा । जैसे बाकी लोगों ने भारत को गढ़ा है वैसा योगदान मुसलमानों का भी है । उदाहरण है जिन मुसलमानों ने भारत पर यकीन किया, संविधान पर यकीन किया उनकी औलादें अब्दुल कलाम बनकर पूजी जा रही है और सिद्दू जैसे नेताओं के बहकावे में आकर जिन्होंने नफरत की फसलें तैयार की वो अफजल गुरू बन कर रह गये, उनको भारत के संविधान ने वैसे ही दंड दिया जैसे बाकी देशद्रोहियो को । मेरी प्रार्थना है कि मुसलमान इन चुनावों में सिद्धू जैसे ठोको ताली गैंग पर नहीं बल्कि स्वयं के विवेक से वोट करे और जिसे चाहे उसे वोट दे ताकि भारत और भारत का लोकतंत्र कमजोर ना होने पाये
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