Monday, April 22, 2019

राहुल ने कांग्रेस की भी विश्वसनीयता गवां दी

सत्ता के लोभ में देश की सुरक्षा से खिलवाड़ तो नहीं! 

आखिकार सुप्रीम कोर्ट में माफी मांग कर राहुल ने जनता की अदालत में  अपने साथ -साथ अपनी पार्टी की विश्वसनीयता भी खो दी । सोचिए चुनाव के मौसम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जनता के सामने जो फजीहत होने वाली है उसका कितना नकारात्मक असर पड़ने वाला है कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन पर । राहुल गांधी ने अपने हलफ़नामे में लिखा है कि  "मेरा बयान सियासी प्रचार की गर्मा-गर्मी में दिया गया था. इसे मेरे विरोधियों ने ग़लत ढंग से पेश करके जान-बूझकर ऐसा जताया कि मैंने ये कहा हो कि अदालत ने कहा है कि चौकीदार चोर है. ऐसी सोच तो मेरी दूर-दूर तक नहीं थी, ये भी साफ़ है कि कोई भी अदालत ऐसा कुछ कभी नहीं कहेगी, इसलिए इस दुर्भाग्यपूर्ण संदर्भ जिसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूँ को ये न समझा जाए कि अदालत को दिया हुआ कोई निष्कर्ष या टिप्पणी है.." राफेल मामले में सियासी फायदा उठाने के राहुल के  मंसूबों पर ये तगड़ा झटका है  अब वो किसी मुंह से अपने मतदाताओं से बात करेंगे ।
इससे पहले राहुल फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मेक्रॉन के हवाले से राफेल के मामले में गलतबयानी कर  सारी दुनिया के सामने अपनी और पार्टी की खिल्ली उड़वा चुके हैं । राहुल ने संसद में खड़े होकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति से मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने स्पष्ट किया कि राफेल खरीद मे कोई गोपनीयता का क्लाज नहीं था । उन्होंने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए ये भी कह दिया कि  फ्रांस के राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि पूरे देश को डील की सच्चाई बता दो राहुल । लेकिन दो घंटे के अंदर ही खुद फ्रांस ने साफ कर दिया कि राहुल झूठ बोल रहे हैं । इस तरह उन्होंने विपक्ष के साथ -साथ भारतीय संसद की गरिमा को भी चोट पहुंचाई।
राफेल को लेकर राहुल गांधी हंसी के पात्र भी बन चुके हैं क्योंकि जितनी चुनावी सभा में उन्होंने इसे घोटाला बता कर रकम का जिक्र किया उतनी बार उन्होंने नयी नयी रकम बतायी । जाहिर है हवा में तीर चला रहे है वर्ना एक फिगर पर कायम रहते ।  
राफेल को लेकर राहुल जिस तरह से आक्रामक है उससे पहले जानकारों को ये  समझ में तो आता था  कि वो अपने परिवार पर लगे बोफोर्स के दाग को कम करना चाहते हैं । पर हर बार और हर मोर्चे पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी है । सुप्रीम पर कोर्ट भले ही नये सिरे से दस्तावेजों को लेकर  राफेल मामले की सुनवाई कर रही हो लेकिन इससे पहले वो  सरकार को क्लीन चिट दे चुकी है । इतना कुछ होने के बाद भी  राहुल गांधी जिस तरह से राफेल को लेकर चौकीदार चोर है के नारे को बुलंद कर रहे है उससे ये आशंका दिन ब दिन गहराने लगी है कि राफेल  को लेकर कोई और साजिश तो नहीं ? । राफेल की नाकामी से सिर्फ तीन लोगों को सबसे बड़ा फायदा होगा एक चुनाव में कांग्रेस को और दूसरा  सुरक्षा के मामले में भारत के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान को । लेकिन पाकिस्तान की इतनी हैसियत नहीं कि वो भारत के चुनावों को प्रभावित कर सके । अब तीसरी आशंका  बचती है  चीन को लेकर  । चीन किसी कीमत पर नहीं चाहता कि राफेल के जरिए भारत की सैन्य ताकत मजबूत हो । ये एक आशंका है और  देश की सुरक्षा ऐजेंसियों को इस दिशा में भी जांच करने की जरूरत है आखिर भारत की सुरक्षा का मसला है ।      
रक्षा मामले में कांग्रेस पर एक कलंक पहले ही लगा हुआ है जब उन्होंने अटल जी सरकार को कारगिल शहीदों के कफन घोटाले के नाम पर  चुनावों में बदनाम किया था और  जार्ज फर्नांडिस जैसे फकीर आदमी पर आरोप लगाया । लेकिन जब तक सच्चाई सामने आती तब तक कांग्रेस ने  सियासी फायदा ले लिया था । उम्मीद है जनता राफेल को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस के हमलों से इस बार सतर्क रहे । चुनाव के चक्कर में देश का नुकसान ना हो ये जनता कि जिम्मेदारी है । क्योंकि राहुल तो संसद , संसद के बाहर और दुनिया में अपनी साख गवां चुके हैं।
  

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