Monday, October 15, 2012

ये कैसा कानून मंत्री है ?


संविधान निर्माण के काम को सम्पन्न करने के बाद अम्बेडकर ने कहा था मैं कह सकता हूँ कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था। अम्बेडकर के तौर पर जब इस देश को पहला कानून मंत्री मिला तो देश गौरवान्वित हुआ था। अम्बेडकर के बाद कोई दसवें कानून मंत्री होंगे सलमान खुर्शीद। देश के तीसरे राष्ट्रपति भारत रत्न, महान शिक्षाविद् डॉक्टर जाकिर हुसैन के नाती और  खुर्शीद आलम खान ( पूर्व केंद्रीय विदेश मंत्री और कई राज्यों को राज्यपाल ) के बेटे है सलमान खुर्शीद । गौरव, गरिमा और संस्कार रक्त से मिला है। लेकिन आश्चर्य होता है जब सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर गलत तरीके से धन अर्जित करने के आरोप लगते है तो बिना किसी जांच के बतौर देश के कानून मंत्री सलमान खु्र्शीद कहते हैं कि ज़रूरत पड़ी तो गांधी परिवार के लिए जान दे देंगे। ऐसे सवाल उठता है कि वो देश के कानून मंत्री है या गांधी परिवार के वफादर वकील?  वो देश की सेवा करने के लिए या फिर एक परिवार की? खैर जिस दिन बतौर कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने रॉबर्ट वाड्रा के लिए कुर्बानी का ऐलान किया था उसी दिन शर्मिंदा हो गया था अम्बेडकर के गरिमामय अतीत पर इतरानेवाला देश का कानून मंत्रालय।
विदेशों में जाकर तालीम हासिल की सलमान खु्र्शीद ने..। लेकिन उनकी तालीम पर तब सवाल खड़े होते है जब वो सरेआम किसी को देख लेने की धमकी देते है। कानून मंत्री की धौंस दिखाकर मुंह बंद रखने को कहते है। 14 अक्टूबर 2012 को पूरी दुनिया ने टीवी पर देश ने देखा कि कैसे अपने ऊपर लगे संगीन आरोपों से पीछा छुड़ाने के लिए देश का कानून मंत्री झल्ला रहा था,चीख रहा था । और जब जवाब देते नहीं बना तो अदालत में देख लेने की धमकी देकर चला गया।  संस्कृत का एक सुभाषित है कि विद्या ददाति विनयम , विनयम ददाति पात्रताम यानी शिक्षा से व्यक्ति विनम्र होता है और विनम्रता उसे सम्मान दिलाती है। लेकिन लगता है डिग्रियों के बोझ और कानून मंत्री के रूतबे ने सलमान खुर्शीद को अहंकार से भर दिया है।
आजतक के बहादुर और निडर पत्रकार दीपक शर्मा की टीम ने खुर्शीद साहब और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद द्वारा संचालित डॉक्टर जाकिर हुसैन ट्रस्ट फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। कैसे विकलांगों के नाम पर सरकारी खजाने से पैसा निकाला गया ? दीपक शर्मा के एक भी सवाल का सही और सटीक जवाब नहीं दे पाये सलमान खुर्शीद। उल्टा ये तय करने की कोशिश करते रहे कि पत्रकारवार्ता वैसी ही होगी जैसा वो चाहेगे...। यानी कि पत्रकार उनकी बात सुनकर चले आये और एक भी सवाल ना पूछें । वाह रे कानून मंत्री । हमारा कानून मंत्री कितना हलकट है ये उस वक्त दिखा  जब उन्होंने एक गवाह पेश किया, जो बेचारा नीरीह असहाय था, जैसे ही उसने सलमान खुर्शीद के हक में बोला खुर्शीद साहब और उनकी बीवी ताली बजाने लगे,खुशी से झूमने लगे । सोचा होगा कि आजतक की टीम को झूठा साबित कर दिया। लेकिन एक पल के लिए भी कानून मंत्री ने ये नहीं सोचा कि 125 करोड़ लोगों का देश देख रहा है कि कैसे कानून मंत्री सरेआम गवाहों से छेड़छाड़ कर रहे हैं।
पूरे देश में आंदोलन हो रहा है कि सलमान खुर्शीद इस्तीफा दो..। लोकतंत्र की गरिमा बनी रहती, खुर्शीद साहब के परिवार का गौरवशाली अतीत नई मिसाल कायम करता और खुद खुर्शीद साहब की नैतिकता होती कि वो इस्तीफा दे देते । लेकिन नहीं ढीठ हो गये है कानून मंत्री। जानते है अगर इस्तीफा दिया तो 1. सबूतों को नष्ट करने का मौका खत्म हो जाएगा। 2. अधिकारियों को दबाने कुचलने की ताकत खत्म हो जाएगी  3. गवाहों को मुकरने के लिए मजबूर करने की शक्ति छिन जाएगी 4. कागजों में हेराफेरी के मौके नहीं मिलेंगे 5. फर्जीवाड़े पर लीपापोती का मौका गवां बैठेंगे । कोर्ट चले गये हैं कानून मंत्री । बताने की ज़रूरत नहीं है कितना असर होगा उनके रसूख का न्यायालयो में । कितने लंबे समय तक मामले को टाला जा सकता है। लड़ते रहो केस मिल चुका इंसाफ...।
सबसे शर्म की बात है इस पूरे घटनाक्रम पर हमारे प्रधानमंत्री है मौन है और अपने मौन पर वो पहले ही दलील दे चुके हैं कि हजारों जवाबों से मेरी खामोशी अच्छी..। वाकई अम्बेडकर की आशंका सहीं थी कि अगर इंसान अधम होगा तो कितना भी अच्छा  संविधान बना लो सब बेमानी है।
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