Sunday, April 26, 2020

मृत्यु शैय्या पर पड़ी कांग्रेस को धर्म और नीति की दुहाई शोभा नहीं देती!

अरनब बनाम सोनिया मामले में अपने जाल में ही फंस गयी कांग्रेस


कहते हैं जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है एक ना एक दिन वो गड्ढा उसके लिए खाई का काम करता है। सवाल ये हैं कि इस देश की मीडिया को सरकारी भोंपू बनाने की परंपरा  किसने शुरू की ? सरकारी विज्ञापनों के जरिए मीडिया में भेदभाव की शुरूआत किसने की? किसने मीडिया में अपने चहेते लोगों को उपकृत करने की परंपरा शुरू की? वो कौन से नेता थे, वो कौन सी पार्टी थी और वो कौन से सरकारें थी जिसने मीडिया को दशकों दलाल बना कर रखा । मीडिया के माध्यम से विरोधियों को निपटाने में  छद्म लड़ाई की शुरूआत किसने की? सरकार विरोधी पत्रकारों को जेलों में ठूंसने की परंपरा किसने और क्यों शुरू की? ऐसे हर सवाल पर पहली ऊंगली कांग्रेस और उसके नेताओं पर ही उठती है । यही वजह है कि आज कांग्रेस अपने बुने जाल में ही फंस गयी है ।


ना तो मैं अरनब गोस्वामी स्टाइल की पत्रकारिता का फैन हूं और ना ही चीख-चिल्लाकर अपनी बात कहने का । लेकिन इस वक्त देश के जो भी मूर्धन्य पत्रकार अरनब गोस्वामी को दिन-रात पानी पी- पी कर कोस रहे हैं, उन्हें पत्रकारिता का बुरा उदाहरण बता कर पेश कर रहे हैं , ऐसे जितने भी स्वनाम धन्य पत्रकार है वो खुद अपने गिरेबां में झांके और देखें कि जब उनके हाथ में अधिकार था तो उन्होंने क्या किया था? कैसे उन्होंने सत्ता की दलाली की थी। सरकार की सहूलियत के हिसाब से खेल -खेलते थे । भले ही तरीका गरिमामय दिखता हो । आज उनमें से बहुत सारे नैतिकता की दुहाई देते नहीं थक रहे । 


Sunday, April 12, 2020

सकंट की इस घड़ी में किसानों को कमजोर नहीं होने देंगे - डॉ. विनय सहस्त्रबुद्दे






कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब किसान सबसे ज्यादा हताश और परेशान दिख रहा था तब रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी मुंबई और कनेक्टिंग ड्रीम फांउडेशन दिल्ली  के संयुक्त प्रयासों के तहत कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सक्रिय इंडिया को-विन एक्शन नेटवर्क की एक पहल ने किसानों को उम्मीदों से भर दिया । राज्यसभा सांसद और प्रबोधिनी के वाइस -चेयरमैन डॉं. विनय सहस्त्रबुद्धे की अध्यक्षता में भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकजुट किया गया । जहां सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में केंद्र सरकार किसी भी कीमत पर किसानों को अकेला नहीं छोड़ेगी और  होने वाले  नुकसान की भरपाई करने के लिए उन्हें हर संभव मदद करेगी । इस वेबनार के दौरान उन्होंने किसानों को cowinactionnetwork.in के बारें में भी बताया कि कैसे इस पोर्टल के जरिए समाज से मदद लेने और देने वाले एक मंच पर आकर परस्पर सहयोग कर रहे हैं । लॉकडाउन के इस दौर में "आई-कैन" के इस प्रयासों को किसान नेताओं ने अपने लिए भी उपयोगी बताया ।


वेबनार में मौजूद देशभर के किसान प्रतिनिधियों ने  सहस्त्रबुद्दे के सामने मौजूदा दौर की तमाम चुनौतियों से अवगत कराया जैसे कि थोक बाजार और मंडियों का कामकाज सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है । किसानों को खुदरा बाजार में भी अपने उत्पादों को लेकर कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । डिजिटल साक्षरता का कमी के चलते ऑनलाइन खरीदी और ब्रिकी का भी ज्यादातर खेतिहर किसान लाभ नहीं ले पा रहे है ।  किसानों के प्रतिनिधियों ने बताया कि परिवहन पूरी तरह से ठप पड़ जाने की वजह से कृषि यंत्रों की आवाजाही नहीं पा रही जिसके चलते खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान हो रहा है । समय पर उनकी कटाई नहीं हो पा रही ।  फसल और बीजों के वितरण की समस्या से भी किसान दो-चार हो रहे हैं।




किसान नेताओं की बातों को सुनने के बाद सहस्त्रबुद्धे ने किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और भरोसा दिया कि इस मुश्किल घड़ी में समाज के लोग भी किसान के साथ खड़े हैं । उन्होंने बताया कि इंडिया को-विन एक्शन नेटवर्क के जरिए हम उन तमाम उपायों को एक फोरम से जोड़ने की कोशिश करेंगे जहां किसान अपनी फसल, बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयां और कृषि उपकरणों से संबंधित अपनी जरूरतों  और परेशानी को खुलकर रखेंगे और उसी फोरम में ऐसे जानकार लोग होंगे जिनके पास किसानों की हर समस्या का समाधान होगा । किसान और समाधान से भरे जानकार जब आमने -सामने होंगे तो  मुसीबत कितनी भी बड़ी हो उसे हल किया जा सकता है ।


लॉकडाउन के इस दौर में किसानों के नेताओं ने वेबनार के जरिए सहस्त्रबुध्दे की इस पहल की बहुत तारीफ की और आत्मविश्वास से भरे किसानों को अब लगता है  कि ट्रैक्टर और कंम्प्यूटर का साथ ही  भारत के किसानों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में सक्षम है ।


Friday, April 10, 2020

संकटमोचक की भूमिका में इंडिया को-विन एक्शन नेटवर्क



कोरना संकट से निटपने के लिए सरकार और प्रशासन जिस तरह नित नयी योजनाओं पर काम कर रहे हैं, वहीं रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी मुंबई और कनेक्टिंग ड्रीम फांउडेशन दिल्ली  के संयुक्त प्रयास से स्वयंसेवक जरूरमंदों तक पहुंचने के लिए अपने हर संपर्क को एक्टिव कर रहे हैं।  राज्यसभा सदस्य और प्रबोधिनी के वाइस चेयरमैंन विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि हर रोज हमारी कोशिश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने की है जिसके लिए हम फोन, वीडियो कांफ्रेंसिंग, मैसेजिंग और तमाम सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि हमसे जुड़ने वाले हर वॉलेंटियर से हम फिलहाल  ये अपेक्षा कर रहे हैं कि वो अपने आस-पड़ोस पर नजर रखे और ये सुनिश्चित करें कि कोई भी  भोजन, पानी और दवा जैसी अन्य जरूरी चीजों के लिए परेशान ना हो । सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक  cowinactionnetwork.in  की पारस्परिक सहयोग की इस  अनोखी पहल ने पूरे भारत में एक नयी जान फूंक दी है  और बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं ।


आई कैन इंडिया कैन-   इस आइडिया के साथ जब  नेटवर्क के लोगों ने  इस काम को आगे बढ़ाया था तो  मकसद लोगों में आत्मविश्वास जगाना था।  लोगों से लोगों के जुड़ने का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ है कि हर आदमी सकंट की इस घड़ी में आगे आकर अपना योगदान दे रहा है । नेटवर्क की साइट पर हर पल देश के कोने -कोने से लोग खुद को वॉलेंटियर के तौर पर रजिस्टर करवा रहे हैं । अब ये एक आंदोलन बन गया है ।   
अन्न दान महादान - सहस्त्रबुद्दे में बताया कि नेटवर्क पर सबसे ज्यादा जरूरतमंद वो लोग है जो या तो झुग्गियों में रहते हैं, दिहाड़ी मजदूर है या फिर बुजुर्ग जो लॉकडाउन में बाहर निकर कर अपने भोजन का प्रबंध नहीं कर सकते । अब हमारे वॉलेंटियर ने हजारों की तादाद में ऐसे इलाके और लोगों के चिन्हित किया और सुनिश्चत किया है कि जब तक लॉकडाउन  जैसे हालात रहेंगे ऐसे लोगों को भोजन और दवा जैसी जरूरी चीजों के लिए परेशान नहीं होना पडेगा और ये काम सतत जारी है ।
 
परोपकरार्थ ईदम शरीरम - सहस्त्रबुद्धे इस बात को लेकर बेहद उत्साहित है कि संकट की घड़ी हमें लोगों की चेतना को जांचने का भी अवसर  मिला ,इस डिजिटल प्लेटफार्म पर हमने ये पाया कि  दुनिया अन्य देशों के मुकाबले भारत के लोग परोपकार में बहुत आगे हैं । हर वॉलेंटियंर और उससे जुड़ने वाले लोग,  स्वयंसेवी संस्थायें क्षमता से आगे बढ़कर इस संकट से लड़ रहे हैं और अपना तन, मन धन सब लगा रहे हैं ।

वसुधैव कुटंबकम - सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि इस प्लेटफार्म पर हजारों की तादाद में जुड़े ज्यादातर वॉलेंटियर्स एक दूसरे से अपरिचित है , कभी कोई किसी से नहीं मिला और ना ही देखा । अलग -अलग धर्म, संप्रदाय, जाति और भाषा के लोग, एक दूसरे से एकदम अनजान होकर भी वॉर रूम से सूचना और जानकारी  पाकर ऐसे एक्टिव हो जाते है जैसे पीड़ित या जरूतमंद उनके परिवार का ही सदस्य  हो । राहत पहुंचाने की उनकी सक्रियता और उनकी कर्तव्यपरायणता से जाहिर होता है कि  पूरे विश्व को एक परिवार मानने का बोध हम भारतीयों के रक्त में कितना गहरा है ।   

सर्वे संतु निरामय -   cowinactionnetwork.in का लक्ष्य भारत सरकार और भारत की जनता को सहयोग देना है  और हर हाल में कोरोना से देश को मुक्त करना है । विनय सहस्त्रबुद्दे को भरोसा है जैसे जैसे हमारा नेटवर्क आगे बढ़ेगा हम रोगियों और चिकित्सकों को कैसे मदद पहुंचा सकते हैं उस दिशा में भी आगे बढ़ेंगे। मास्क, सेनेटाइजर, संसाधन और जीवन रक्षक दवाईयों के जरिये भी मदद के लिए हमारे वॉलेंटियर्स कमर कस चुके हैं ।

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Sunday, April 5, 2020

#iSupportLampLighting - दिवालिया दिलजलों का मातम है आज


महामारी से पहले कुछ लोगों को मनोचिकित्सा की जरूरत  


घरों में बंद लोगों को असुरक्षा, निराशा और अवसाद से छुटकारा दिलाने के लिए प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की है कि रविवार की रात 9 बजे दीप जला कर पूरा राष्ट्र कोरोना से लड़ाई में एकजुटता का परिचय दे  लेकिन चंद दिलजलों की आग से धधक उठा  मीडिया, अखबार   और सोशल मीडिया का एक तबका । कुछ दूरदर्शी विद्वानों  ने कहा कि प्रधानमंत्री जी कहीं आगजनी हो गयी तो कौन जवाब देगा?, कुछ तकनीकी विद्वान थे उन्होंने लिखा की पावरग्रिड फेल हो जाएगा । कुछ प्रकांड विद्वान है उनका तर्क था कि प्रधानमंत्री अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं ।  कुछ इतने ज्यादा सवेंदनशील ज्ञानी है कि उन्होंने लिखा की गरीबों के पास खाने को तेल नहीं और प्रधानमंत्री दीये में तेल झोंक रहे हैं ।  कुछ कपालफोड़ विद्वानों की माने तो प्रधानमंत्री सियासत कर रहे है और इस गंभीर परिस्थिति को भी इवेंट बना रहे हैं।

    
इस वक्त देश का बच्चा-बच्चा करोना के विरूद्ध एक अभूतपूर्व लड़ाई लड़ रहा है, इस लड़ाई को सफल बनाने के लिए वो कितना कृतसंकल्पित है  इसका परिचय तभी मिल गया था जब प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था  और उस दिन  शाम को पांच बजे अपनी घरों की बालकनी और छतों से थाली और घंटी बजाकर लोगों ने अपने नेता को भरोसा दिया कि हम आपके साथ है । लेकिन घनघोर विद्वानों ने कुतर्कों के ऐसे पुलिंदे खड़े कर दिये कि घंटी से कोरोना कैसे दूर होगा? ताली बजाने से कोरोना कैसे मरेगा, ये कोई मच्छर थोड़े है ? जब देश थाली पीट रहा था तो प्रचंड विद्वान कमरा बंद करके अपनी छाती पीट रहे थे।   

आखिर मौजूदा सरकार विरोधी ये राजनीतिक लोग, ये साहित्यकार, सिनेमाई दिग्गज, वामी, कामी और दामी पत्रकारों की जमात   मुश्किल की इस घड़ी में दीवारों पर सिर क्यों फोड़ रही  हैं? दीप जलाने की जगह ये लोग अपने दिल क्यों जला रहे हैं ? क्यों ऐसी बचकानी दलीलें दे रहे जिससे जनता की बीच इनका मानसिक दिवालियापन खुलकर सामने आ रहा है । 

कोरोना के मामले में विश्वस्वास्थ्य संगठन का साफ-साफ कहना है कि जब तक एक -एक आदमी सावधान नहीं होगा कोरोना से नहीं लड़ा जा सकता । एक आदमी की लापरवाही पूरे समाज की मेहनत पर पानी फेर सकती है । कोरोना से बचाव की इस वक्त कोई दवा नहीं है। कोरोना के सामने दुनिया के विकसित देशों ने घुटने टेक दिये हैं । स्वास्थ्य सेवाओं में अव्वल देशों के राष्ट्राध्यक्ष जनता और मीडिया के सामने फूट-फूट कर रो रहे हैं ।


भारत में कोरोना पूरा दम लगा रहा है । कुछ जाहिल जमात के लोग  कोरोना के साथ मिलकर तबाही की साजिश कर रहे हैं, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल तोड़ने के लिए नीचता पर उतर आये हैं, उस पर ये विद्वान लोग उनका बचाव ये कह कर कर रहे हैं कि उनके अपने कुछ कायदे है जिसमें किसी को दखल नहीं देना चाहिए । बात- बात में संविधान की दुहाई देने वाले ये विद्वान इन हमलावर जाहिलों के मामले में संविधान को भी नजरअंदाज करने से नहीं चूक रहे ।  दिल्ली में परप्रांतियों को लेकर साजिश लगभग बेनकाब हो चुकी है । विपक्ष इस मुश्किल घड़ी में कोरोना को लेकर सियासी नफे की चालें चल रहा है । आप समझ सकते हैं सरकार के लिए भारत जैसे देश में कोरोना से लड़ना कितना मुश्किल है ।

 इन तमाम विरोधाभासों के बीच भारत का नेतृत्व  जिस तरह से इस वैश्विक आपदा पर फ्रंट से लीड कर रहा  है वो पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल बन चुकी हैं। भारत सरकार एकदम सही ट्रेक पर है ,इस वक्त ये लड़ाई ना तो  वेंटीलेंटर से जीती जा सकती है ना मास्क से । ना ही किसी आधुनिक संसाधन से। हां, इसकी जरूरत को किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता ।   विश्व स्वास्थ्य संगठन का साफ- साफ कहना है कि मानव का मनोबल और उसकी सावधानी ही कोरोना के फैलाव को रोक सकती है।  सोशल और फिजिकल डिस्टेंसिंग ही इस वक्त इसका एकमात्र  इसका उपाय और निदान  है। ऐसे में घरों में बंद कोरोना से लड़ रहे लोगों में अगर प्रधानमंत्री दिये की रोशनी  और घंटी के नाद के जरिए जोश बढ़ा रहे हैं, असुरक्षा, निराशा और अवसाद को मात दे रहे है तो कौन सा गुनाह कर रहे हैं ? साफ है प्रधानमंत्री वातावरण को सकारात्मकता से भरना चाहते है तो उनके विरोधी विद्वान नकारात्मका का जहर घोलने में पूरा दम लगा रहे हैं क्योंकि ये सारे विद्वान घरों में बैठ कर कोरोना से नहीं दुनिया भर में मोदी को लेकर जनता के बढ़ते  भरोसे से  घबरा रहे हैं ।       

Friday, April 3, 2020

#IndiaFightsCorona- आओ भारत दीया जलायें

#9baje9minute


आओ भारत दीया जलायें, संसार से कोरोना का ये तिमिर मिटायें
एक दीया संयम का
एक दीया साहस का
एक दीया संघर्ष का
वायरस पर मानव विजय की ज्योति जगमगाये
आओ भारत दीया जलायें, संसार से कोरोना का ये तिमिर मिटायें

एक दीया , रोग से लड़ते साथियों के नाम
एक दीया दें, दिव्य सेवारथियों को सलाम
एक दीया करे, सारी साजिशों को नाकाम
उत्साह, उल्लास और उमंग का प्रकाश फैलायें
आओ भारत दीया जलाये, संसार से कोरोना का ये तिमिर मिटायें

एक दीया अस्तित्व की प्रार्थना में
एक दीया धर्म की साधना में
एक दीया कर्म की आराधना में
नव दीप के दावानल में हर निराशा  जलायें
आओ भारत दीया जलाये, संसार से कोरोना का ये तिमिर मिटायें