Tuesday, January 8, 2013

संत आसारामजी ज़रा संभल कर वर्ना ..


आसाराम ने दिल्ली गैंग रेप के लिए रेपिस्टों के साथ-साथ रेप विक्टिम को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, दोनों हाथों से बजती है। उन्होंने कहा कि रेप के लिए लड़की भी दोषी है। वह चाहती तो आरोपियों को भाई कहकर, उनके हाथ-पैर जोड़ सकती थी, जिससे वह बच जाती। लेकिन, उसने ऐसा नहीं किया।
संत महोदय, मैं आपकी तरह धर्म का कोई बहुत बड़ा जानकार नहीं हूं लेकिन जो भारत के किस्से कहानियों में सुना है उससे आपके ज्ञान को परखने कोशिश करते हैं। जानते है क्या आसाराम तब भी यही कहते

1- जब रावण ने अपने गंदे इरादों के लिए सीता का हरण किया था। क्या अशोक वाटिका में सीता को रावण के हाथ पैर जोड़ने थे? सीता ने गर उस समय समझौता कर लिया तो क्या इस दुनिया को रावण के अनाचार से मुक्ति मिल जाती?
2- महाभारत में अगर द्रोपदी ने संत आसाराम की सलाह मानी होती और दुर्योधन और दुशासन के हाथ पैर-जोड़े लिए होते,  उनके सामने भाई भाई कह कर गिड़गिड़ाई होती तो क्या भारत कौरवों के अनाचार से मुक्ति मिलती ?
3- शुंभ और निशुंभ जैसे पराक्रमी दानवों ने जब माता पार्वती पर वासना के वशीभूत होकर नजर डाली तो उन्होंने चामुंडा बनकर चंड-मुंड का वध किया। मां काली बन कर रक्तबीज पर टूट पड़ी और दुर्गा बन कर शुंभ-निशुंभ का वध किया और शक्ति बन कर स्थापित हुई।

4- संत आसारामजी ये भारत है यहां नारी पद्मनी जैसी होती है सत्य और सम्मान के लिए आखिऱी दम तक लड़ती है और हंसते हंसते प्राणों का त्याग करती है। अच्छा हुआ कि रानी पद्मिनी ने जब अलाउद्दीन खिलजी जैसे कामपिपासु से लोहा लिया था तब इस देश में आप जैसे लोग नहीं थे ।  

5- आसारामजी पता नहीं आपको मालूम है कि मैंने तो बड़े बुजुर्गों से मुंह से सुना है कैसे अकबर रानी दुर्गावती को जीत कर उसे अपने हरम में रखना चाहता था लेकिन रानी ने उसके सेनापति आसफ खान से जब तक जान थी तब लक लड़ाई की। क्या लगता है आपको,  क्या रानी दुर्गावती को  अपनी जान बचाने के लिए उस कामांध सत्ताधीश के सामने गिड़गिड़गाना चाहिए था।  

6- आसारामजी आपके तो लाखों भक्त है लेकिन झांसी की रानी के पास तो चंद दीवाने थे। उनमें से एक झलकारी बाई थी। रानी झांसी के भेष में वो अंग्रेजों से लड़ी और जब पकड़ी  गई,  पहचान ली गई तो एक अंग्रेज अफसर ने गोली मारने की धमकी दी,   तब झलकारी ने कहां मार दे गोली  मैंने तो अपना काम कर दिया,  रानी झांसी को बचा लिया । तब उस अंग्रेज अफसर ने कहा लगता है ये औरत पागल है जो मरने को तैयार है। मिस्टर आसाराम तब जनरल ह्यूरोज ने कहा  था "यदि भारत की एक प्रतिशत नारियाँ इसी प्रकार पागल हो जाएँ तो हम अंग्रेजों को सब कुछ छोड़कर यहाँ से चले जाना होगा"
         
8- पता नहीं आपको मालूम है कि नहीं., मुझे तो गांव के एक बुजुर्ग ने सुनाया था 1857 की क्रांति के नायक नाना साहब पेशवा की कोमल बालिका मैना के बलिदान की कहानी। जब अंग्रेजो ने नन्हीं मैना को पकड़ा तो वो उससे क्रांतिकारियों की जानकारी लेना चाहते थे। उसे लालच भी दिया लेकिन उस छोटी सी बच्ची ने किसी भी प्रकार की जानकारी देने से मना कर दिया। तब उस नन्हीं सी जान को कई तरह से डराया-घमकाया गया, लेकिन वाह रे पेशवा की बेटी झुकी नहीं । झल्लाये क्रूर ब्रितानियों ने उस छोटी सी बालिका को ज़िंदा आग में जला दिया।

9-  बहुत निचले तबके की थी नर्तकी अजीजन बेगम। लेकिन अपने अनुपम सौदर्य के लिए जानी जाती थी। क्रांतिकारी नाना साहब पेशवा और तात्या टोपे की साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी थी। अंग्रेज उसकी सुंदरता पर मुग्ध थे और जब पकड़ी गई तो उस नर्तकी ने समझौता नहीं किया बल्कि बंदूक की गोली खाकर मर गई और हमकों देशभक्ति, नारी के उच्चतम आदर्श और शक्ति का अहसास करा गई ।

10- रानी लक्ष्मी बाई, बेगम ह्जरत महल, रानी द्रोपदी बाई, रानी ईश्‍वरी कुमारी, चौहान रानी, अवंतिका बाई लोधो, महारानी तपस्विनी, ऊदा देवी, झांसी की तोपख़ाने की कमांडर जूही, पराक्रमी मुन्दर, रानी हिंडोरिया, रानी तेजबाई, जैतपुर की रानी, ईश्वरी पाण्डेय,  संन्यासी विद्रोह की नेता देवी चौधुरानी, चुआड़ विद्रोह की नेता रानी शिरोमणि, कित्तूर की वीर रानी चेनम्मा, शिवगंग स्टेट की विद्रोही वीरांगना वेलुनाचियार, नेपाल की महारानी साम्राज्य लक्ष्मी देवी ,  पंजाब की रानी जिंदा, रानी तुलसीपुर, रानी रामगढ़, रानी तेज बाई, और तुकलांई सुलतान जमानी बेगम। अगर ये सारी औरतों ने आपकी बात मान ली होती आज शायद ही आप इस तरह अपना ज्ञान बांट पातें ?
 
11 -- सरफरोश प्रीतिलता की शहादत हो या गवर्नर के बंगले में घुसकर उस पर गोली दागने वाली दो स्कूली छात्राओं-शांति घोष और सुनीति चौधरी का किशोर-साहस। सरला देवी चौधरी का सुचारु क्रांति-संगठन हो या कल्पना दत्त, बीना दास, उज्जवला मजूमदार जैसी वीर क्रांतिकारी युवतियों की सीधी व छापामार लड़ाई। अरुणा आसफअली का भूमिगत आन्दोलन हो या उषा मेहता का भूमिगत रेडियो। ‘हमारी आजादी की लड़ाई तो ऐसी मिसालों से भरा पड़ा है। क्रांतिकारी दुर्गा भाभी, दीदी सुशीला, सुनीति देवी, मृणालिनी देवी, श्री देवी, प्रकाशवती, लीला नाग, इंदुमती सिंह, सुहासिनी गांगुली, सावित्री देवी, रल्ली देई, शास्त्री देवी, ऐसू बाई जैसे लोगों ने अच्छा हुआ आपसे दीक्षा नहीं ली थी वर्ना पता नहीं हम कैसे आजाद होते और आप कैसे आपना ज्ञान बघार रहे होते ।

पता नहीं ये किसकी साजिश है..जिसने नारी को अबला कह दिया । इतिहास तो नारी शक्ति के दर्शन भरा पड़ा है। और आज भी दिल्ली के दरिंदों से लड़ते हुए जिस लड़की ने जान दी है उसका बलिदान बेकार नहीं जाएगा । उसकी बहादुरी उसकी जीने की चाह अब भारत हर लड़की के रगों में खून बन कर दौड़ रहा है । तो आसारामजी जरा संभल कर, जरा सोच समझ कर बोलें ...