Tuesday, March 24, 2020

#IndiaFightsCorona :राष्ट्रीय चरित्र को जांचने का ये एक अवसर

बाहर जा नहीं सकते तो भीतर ही  झांकिये #StayAtHomeSaveLives

इटली से एक दंपत्ति को बेंगलुरू एयरपोर्ट पर जांच के दौरान कोरोना का संदिग्ध पाया गया गया । प्रशासन ने एहतियातन  दोनों को क्वॉरंटीन कर दिया । लेकिन युवती प्रशासन को चकमा देकर फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली और फिर दिल्ली से ट्रेन पकड़ कर आगरा, अपने मायके पहुंच गयी । जब बेंगलुरू प्रशासन को इसकी भनक लगी तो आनन -फानन में आगरा प्रशासन को सूचित किया गया । आगरा में युवती के पिता रेलवे अधिकारी है उन्होंने पुलिस से झूठ बोला की बेटी उनके पास नहीं है । बाद में प्रशासन को सख्ती करनी पड़ी और 123 साल के बाद महामारी फैलाने की धाराओं आईपीसी 269 और 270 के तहत उन पर कार्रवाई करने पड़ी । आज आगरा पूरी तरह से लॉक डाउन है । कल्पना करिए  बेंगलुरू -दिल्ली फ्लाइट और दिल्ली आगरा ट्रेन में युवती जिन- जिन लोगों के संपर्क में आयी थी उन तक सूचना पहुंचाने में प्रशासन की कितनी ताकत बर्बाद हुई होगी।


लखनऊ में  सेलेब्रिटी स्टेट्स रखने वाली कनिका कपूर और उससे जुड़े अभिजात्य वर्ग का मामला और भी भयावह है। कनिका का गुनाह ये कि कोरोना संदिग्ध होने के बावजूद उसने जानकारी छुपायी और फिर पैसों के लालच में बड़ी -बड़ी पार्टियों में शिरकत की । अपराध उन लोगों का भी है जिन लोगों ने सरकार की एडवायसरी जारी होने के बाद भी पार्टियों का आयोजन किया । इस गैरजिम्मेदाराना हरकत के चलते देश की संसद के भीतर तक कोरोना का हड़कंप मच गया । कई सांसदों को खुद को क्वॉरंटीन करना पड़ा ।

विदेश में रहने  वाले मध्यप्रदेश के जबलपुर के  चार लोग,  बजाय खुद को क्वॉरंटीन करने के खुले आम घूमने फिरने लगे और पूरे जिले को अभिशप्त कर दिया । ऐसे हाइली क्वॉलीफाइड लोगों के चरित्र के चलते भारत के दूर-दराज के इलाकों में महामारी ने अपने पैर जमा लिये है । मजबूरी में सरकार को छोटे छोटे शहरों को लॉक डाउन करना पड़ रहा है ।

मुंबई के पास पालघर में गरीबरथ के य़ात्रियों ने घबराहट में पुलिस को फोन लगा कर सूचित किया कि चार विदेश से लौटे कोरोना संदिग्ध यात्री ट्रेन में सफर कर रहे हैं जिनके हाथ में क्वॉरंटीन होने की मुहर लगी है । पुलिस को उन्हें ट्रेन से उतारना पड़ा । ऐसे पढ़े- लिखे लोगों की चलते भारतीय ट्रांसपोटेशन खतरे में पड़ गया । सरकार की लाख समझाइश के बाद भी लोग नहीं माने तो  मजबूरी में सरकार को सारी ट्रेन सेवाएं बंद करनी पड़ी ।

सरकार के मना करने के बाद भी लोगों ने दुकानें बंद नहीं की थी । सरकार के मना करने के बाद भी प्राइवेट दफ्तरों ने खुद पर लगाम नहीं लगाई थी । सरकार के मना करने के बाद भी प्राइवेट-स्कूल के लोग टीचरों को जबरिया बुला कर बैठा रहे थे । और जिन लोगों को छुट्टी मिल गई वो सस्ती फ्लाइट और सस्ते होटल्स की वजह से सपरिवार छुट्टियां मनाने निकल गये । जबकि चीन ,इटली, अमेरिका और ईरान की बेबसी से वो अच्छी तरह वाकिफ थे ।

मजबूरी में प्रधानमंत्री को पूरे देश में जनता कर्फ्यू का आह्वान करना पड़ा, रविवार शाम पांच बजे तक तो सब ठीक था लेकिन पांच बजते ही देश के कई शहरो में लोगों ने रैली ही निकाल दी  और पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया ।सरकार ने जोर देकर  कहां था कि बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले तो लोगों के बहाने सुनिए - किसी को टैटू कराने जाना था , तो किसी को ब्यूटी पार्लर। इस तरह लोगों के जरूरी काम सुनेंगे तो आप अपने बाल नोंच लेंगे । दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सड़कों पर गाड़ियों का  जाम लगना कायम रहा । मजबूरी में महाराष्ट्र समेत कई प्रदेशों में कर्फ्यू लगाना पड़ा । पुलिस को लोगों को घर में रखने के लिए सख्ती करनी पड़ रही है । लेकिन लोगों को समझ नहीं आ रहा है । कई लोग वीआईपी होने की धौंस दिखा कर पुलिस को चकमा रहे हैं ।  सब्जी और राशन की दुकानें देखते ही लोग टूट पड़ रहे हैं । सरकार कह रही है कालाबाजारी मत करो लेकिन लोग सैनेटाइजर और मास्क से पैसा बनाने में नहीं चूक रहे हैं । पानी, सब्जी, राशन, दवा सब को लेकर जहां जिसकों जैसा मौका मिल रहा है लोग लूट है ।

धार्मिक लोगों की बात ही मत करिए वर्ना लोग आप को सांप्रदायिक कहेंगे, मस्जिदों में लोग पहले की ही तरह  जुट रहे है ।   मंदिरों में भी भक्तों की आवाजाही जारी रही  । तब मजबूरी में धार्मिक स्थलों को भी बंद करने का फैसला लेना पड़ा । शाहीन बाग जैसे प्रदर्शनकारी जब ना सरकार की सुने और ना कोर्ट की, तब पुलिस को ही अपना काम करना पड़ा।

 एक तरफ कुछ लोग ईमानदारी से सरकार की सलाह मान कर राष्ट्रीय चरित्र को फॉलो कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ज्यादातर लोग अभी भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं ।  औरते अपने अपने छोटे -छोटे बच्चों के साथ टहल रही है । कई जगह बुजुर्ग बैठकी के लिए बेचैन हो रहे हैं, तो युवा मौका पाते ही परिवार को लेकर आसपास ड्राइविंग कराने के बाज नहीं आ रहे ।कर्फ्यू के चलते कई सोसायटी में कचरेवाला नहीं पहुंच पा रहा है तो लोग अपने दरवाजे में ही कचरे का ढेर लगा कर बैठे है क्योंकि ये उनका काम नहीं है ।

ज्यादातर विरोधी पार्टियां ऐसे संवेदनशील मौके पर क्या कर रही है आप जरा विरोधी नेताओं के ट्विट पढ़ लीजिए । कई मीडिया समूह जागरूकता को लेकर जान झोंक रहे हैं तो कुछ मीडिया समूह  दुनिया के सामने भारत को शर्मिंदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं । वो मुद्दों की नहीं, बल्कि निजी मनभेदों को लेकर भड़ास निकाल रहे हैं । वो इस आपदा को निजी राजनीतिक अवसर के तौर पर कैश करा रहे हैं । 

 हालत बहुत बुरी है, लोग स्वअनुशासन में नहीं है , ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों के पास सख्ती करने के सिवा कोई चारा नहीं था क्योंकि आपने प्रमाणित किया कि इससे कम में आप मानेंगे नहीं  और फिर सरकारों से  चूक हो गयी तो यही मौज -मस्ती करने वाले सरकार को जिम्मेदार ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे । इनता सब होने के बाद भी आइना दिखाने वालों को आप जी भर कोस लेते और खुद को महान बता लेते है ये क्या कम है।