Sunday, October 6, 2019

क्या मां-बेटे में बंट गई कांग्रेस?


मुंबई में राहुल गांधी के समर्थक बीजेपी को जिताने में लगाएंगे दम   

मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम कांग्रेस को निपटाने के काम में जुट चुके हैं उनके बयान से उनके इस संकल्प का अंदाजा लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा कि मुंबई में 3-4 सीट को छोड़ कर हर जगह हमारी जमानत जप्त होगी, मैं चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लूंगा और सीधे 24 अक्टूबर को मीडिया से बात करूंगा ताकि वो इस बात की पुष्टि कर सकें।

मुंबई में 36 विधानसभा सीटें है और महाराष्ट्र की जीत का रास्ता यहीं से निकलता है। बीजेपी ने यहां से मौजूदा मंत्री विनोद तावड़े समेत कई दिग्गज विधायकों का टिकट काट दिया है, लेकिन छुटपुट विरोध से ज्यादा ये नेता कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं। जाहिर है नेतृत्व दमदार होगा तो किसी हैसियत नहीं है कि खुलकर कुछ बोल सकें। वहीं कांग्रेस में हालात बेकाबू है।


हताशा और निराशा से उपजे हालात में मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने सीधे सीधे आलाकमान को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। निरुपम ने तो खुल कर ये कह दिया कि पार्टी राहुल और सोनिया के नाम पर दो धड़ों में बंट गई है। यानी की मां-बेटे के नाम पर पार्टी में फूट पड़ चुकी है। उन्होंने कहा –जो लोग राहुल गांधी से जुड़ कर पार्टी में काम कर रहे थे ऐसे तमाम लोगों को सिस्टमेटिकली खत्म करना, उनको महत्वहीन करना और उनको पार्टी के सिस्टम से बाहर निकाल कर फेंक देना ऐसा षड़यंत्र दिल्ली से चलाया जा रहा है  निरुपम के इस बयान को बारीकी से समझने पर आप पायेंगे कि जब राहुल गांधी के हाथ में पार्टी की कमान थी तो उनका काकस अलग था। राहुल के कोर ग्रुप में ज्यादातर युवा थे, सो इन युवाओं ने राहुल के नेतृत्व में जब जहां मौका मिला पार्टी के उम्रदराज और वरिष्ठ लोगों को ठिकाने लगा दिया था। मुंबई के उस समय के तमाम कांग्रेसी दिग्गजों के बावजूद राहुल के करीबी होने के चलते चलते ही निरुपम मुंबई कांग्रेस के अध्य़क्ष बने ये इस बात का उदाहरण हैं। जिसके चलते गरूदास कामत और देवड़ा गुट तक एक हो गये थे।
अब जब कांग्रेस की कमान बेटे के हाथ से निकलकर एक बार फिर मां के हाथ में गई है तो सोनिया समर्थक पुराने नेता भी अपने रंग में लौट चुके है। अपना दुखड़ा सुनाते हुए निरुपम कहते हैं मैं पूरा दम लगा कर भी अपनी पसंद के एक उम्मीदवार को टिकट नहीं दिलवा सका। उन्होंने कहा कि  मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनकी बात को सुनना भी जरूरी नहीं समझा। उन्होंने खड़गे पर जमकर भड़ास निकालते हुए साफ-साफ कहा कि सोनिया जी के ईर्द-गिर्द जो लोग भी बैठे है वो सब बायस्ड हैं, उनकी कोई पकड़ नही, कोई समझ नहीं है, कैसे पार्टी में एक-एक को निपटाया जाय वो लोग इस तरह के षड़यंत्र को अंजाम दे रहे हैं  मुंबई में उर्मिला मातोंडकर और कृपाशंकर सिंह पहले ही कांग्रेस पार्टी से अपना पल्ला झाड़ चुके हैं। महाराष्ट्र के एक और दिग्गज नेता हर्षवर्धन पाटिल ने भी पार्टी छोड़ दी है। जाहिर है कांग्रेस पार्टी दिन- ब -दिन संकट से उबरने के बजाय नयी-नयी मुसीबतों से घिरती जा रही है। राहुल और सोनिया गांधी के समर्थकों की इस फूट का असर हरियाणा में भी बीजेपी की जीत को पुख्ता करता दिख रहा है, जहां पर हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ने के बाद खुल कर कहा कि अब पार्टी में कमेटियां बन जाती है उनमें पांच साल में किसने क्या  काम किया ये उनको पता ही नहीं होता, वहीं पुराने-पुराने चेहरों को अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह-चीन्ह अपनों को देय की तर्ज पर काम चल रहा है।  हरियाणा कांग्रेस हुड्डा कांग्रेस बनती नजर आ रही है यानी हरिय़ाणा में कांग्रेस को हराने का ऐलान कर चुके हैं तंवर। आखिर उनको भी तो अपना ताकत दिखानी है।

लोकसभा चुनावों के बाद के कांग्रेस पार्टी के भीतर के पूरे घटनाक्रम को समझे तो आसान भाषा में यहीं समझ में आ रहा है कि पार्टी ने नेता फिलहाल पार्टी की नहीं बल्कि अपनी-अपनी सोच रहे हैं। राहुल के जमाने में जिन वरिष्ठों ने जिल्लत झेली थी अब वो लोग चुन-चुन अपना बदला ले रहे हैं। शायद वो ये मान चुके हैं कांग्रेस की जीत तो होनी नहीं है कम से कम इस माहौल में अपने विरोधियों को तो निपटाया ही जा सकता है। सो राहुल समर्थकों ने भी कसम खा ली है कि कांग्रेस की जमानत जब्त करवा कर दिग्गजों को उनकी हैसियत बतायी जाये। इस तरह राहुल और सोनिया का गुट मिल कर अपने अपने तरीके लग गया है बची- खुची कांग्रेस को भी ठिकाने लगाने में।