Monday, August 12, 2019

कांग्रेस के कुछ नायक जैसे सिनेमा के खलनायक

सियासी विरोध में भारत को फूंकने पर उतारू!


व्यवहारिक तौर पर बात की जाय तो जो लोग भी पोलिटिकल बिजनेस में हैं  सत्ता हासिल करना ही उनका एकमात्र लक्ष्य होता है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों ने पिछले 70 सालों में वो सब किया जिससे कई बार भारत देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता खतरे में पड़ी। हिंदू और मुसलमान के नाम पर देश के बंटवारे से ये सिलसिला शुरू हुआ और फिर वोट बैंक बनाने के लिए प्रांतवाद, भाषा के नाम पर बंटवारा, घुसपैठियों को शरणार्थी बनाना, जात-पात, ऊंच-नीच, अगड़े-पिछड़े, अमीरी-गरीबी, दलित-सवर्ण फूट डाल कर वोट हथियाने का ये प्रयोग इतने निचले स्तर तक गया कि अब भारत में  परिवार तक टूटने लगे हैं। लेकिन कुछ समय पहले तक जो भी होता था देश के भीतर ही होता था । कभी किसी नेता ने राष्ट्र की गरिमा और उसके सम्मान की दहलीज को लांघने की हिमाकत खुलकर नहीं की थी।
 
चीन से युद्द हुआ विपक्ष ने सरकार का साथ दिया, शास्त्री जी ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी तब विपक्ष ने सरकार को कमजोर नहीं पड़ने दिया। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश बनाकर जब भूगोल ही बदल दिया तो पूरा विपक्ष ताकत बन कर उनसे साथ खड़ा था। सरकार को विरोधी नेताओं के चलते कभी भी दुनिया में शर्मिंदा नहीं होना पड़ा था।  

1994 में तो कश्मीर पर पाकिस्तान का रवैया काफी आक्रामक था । संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में पाक ने कश्मीर के सवाल पर भारत को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी थी। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के संबंध में भारत का पक्ष रखने के लिए नेता प्रतिपक्ष अटल जी को भेजा था। उन्होंने कूटनीतिक कुशलता की जाल में पाकिस्तान को ऐसा घेरा कि उसके पसीने छूट गए। अटल जी ने कहा- आपका कहना है कि कश्मीर के बगैर पाकिस्तान अधूरा है, तो हमारा मानना है कि पाकिस्तान के बगैर हिंदुस्तान अधूरा है, बोलिये, दुनिया में कौन पूरा है? पूरा तो केवल ब्रह्म्मा जी ही हैं, बाकी सबके सब अधूरे हैं। आपको पूरा कश्मीर चाहिए, तो हमें पूरा पाकिस्तान चाहिए, बोलिये क्या मंजूर है?

एक विपक्ष था मोदी के पहले  का और एक विपक्ष है मोदी के सामने। अगस्त 2018 की बात है  जब राहुल गांधी ने डोकलाम के मसले को लेकर लंदन के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रेटिक स्टडीज में भारत सरकार को शर्मिंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ।उन्होंने कहा था कि डोकलाम में अब भी चीन की सेना मौजूद है और पीएम मोदी चाहते तो इसे रोक सकते थे अगर वह सावधानी से नजर रखते, उन्होंने कहा था कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं है। यह लगातार होने वाली घटना का हिस्सा थी, यह एक प्रक्रिया थी, पीएम मोदी को लगता है कि डोकलाम कोई इवेंट है,अगर वह सावधानी से नजर रखते थे तो उसे रोक सकते थे। तब जानकारों ने इसे राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता बताया था। इससे पहले बिना सरकार को विश्वास में लिए चीनी राजदूत से उनकी मुलाकात को लेकर भी खूब आलोचना हुई थी । इसी दौरान हद तो तब हो गई थी जब केरल में आई बाढ़ को लेकर कांग्रेस के नेता संयुक्त राष्ट्र में मदद लेने चले गये थे। हाल में समाजवादी पार्टी के नेता अपनी सियासी रोटी सेंकने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ सांप्रदायिकता का हवाला देकर संयुक्त राष्ट्र के सामने गिड़गिड़ाने चले गये।

मोदी के विरोध चलते  लेकर टुकड़े- टुकड़े गैंग का समर्थन हो, आतंकवादियों और अलगाववादियों का समर्थन करना हो, कश्मीरी पत्थरबाजों को लेकर सेना के मनोबल को तोड़नेवाले बयान हो, सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक को लेकर जिस तरह से विपक्ष ने सेना और सरकार को दुनिया के सामने शर्मिंदा किया, सेना से नेताओं ने सबूत मांगे, उससे विपक्ष के भारतीय नेताओं के चरित्र को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। कई बार  विपक्षी नेताओं के सुर,  राष्ट्रविरोधी ताकतों और  पाकिस्तान के सुर एक जैसे लगे।

मोदी के दूसरे कार्यकाल में विपक्ष और खासकर कांग्रेस के नेता बौखलाहट में राष्ट्रधर्म को लगता है कि पूरी तरह ही भूल गये हैं । पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दुनिया के मंचों पर भारत को कमजोर करने के लिए कांग्रेस के नेता और भारत के पूर्व गृहमंत्री पी चिंदंबरम और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर के बयानों का हवाला दे रहे हैं । 12 अगस्त को पी चिदंबरम ने चेन्नई में कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि वहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं। अगर वहां हिंदू बहुसंख्यक होते तो यह फैसला नहीं लिया जाता । इससे ज्यादा गैरजिम्मेदाराना और क्या हो सकता है ? जैसे वो चाहते हो कि कश्मीर के मामले में आग लग जाये और सरकार की कोशिश नाकाम हो जाय।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मणिशंकर अय्यर ने चिदंबरम को मीलों पीछे छोड़ दिया और कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने देश के उत्तरी बॉर्डर पर एक फिलीस्तीन बना दिया है, मणिशंकर अय्यर ने एक अखबार में लिखे एक लेख में कहा है कि मोदी-शाह ने ये पढ़ाई अपने गुरु बेंजामिन नेतान्याहू और यहूदियों से ली है। कांग्रेस नेता ने कहा है कि मोदी और शाह ने इनसे सीखा है कि कश्मीरियों की आजादी, गरिमा और आत्म सम्मान को कैसे रौंदना है? मोदी के मामले में मणिशंकर की नफरत जगजाहिर है लेकिन ये देश में जहर घोलने वाली प्रतिक्रिया है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) भी  सरकार पर  निशाना साधते साधते देश के धर्म को ताक पर रख दिया , उन्होंने कहा है कि सरकार ने अपने हाथ आग में झुलसा दिए हैं। कश्मीर को बचाना हमारी प्राथमिकता है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं मोदीजी, अमित शाह जी और अजीत डोभाल जी से अपील करता हूं कि सतर्क रहें नहीं तो हम कश्मीर खो देंगे।

जाहिर है कांग्रेस के नेताओं के बयानों को देखें तो पता चलता है कि सत्तर और अस्सी के दशक में बॉलीवुड की मसाला फिल्मों में हूबहू यही होता था जब खलनायक अपने अहंकार को, अपनी सत्ता को औऱ अपनी झूठी शान को  बचाने के लिए देश के दुश्मनों से हाथ मिलाने से भी नहीं हिचकिचाता था। कांग्रेस के नेताओं के इन बयानों से राजनीति में सिनेमा के शाकाल, मोगैम्बो, डॉक्टर डैंग, लायन और प्रयलनाथ गुंडास्वामी के किरदार जीवंत से लगने लगे हैं।

हद तो तब हो गई  जब ईद के दिन भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के आला अफसर लगातार कह रहे है कि धारा 370 निष्क्रिय होने के बाद एक गोली नहीं चली है, मीडिया में तमाम ऐसे वीडियो दिखाए जा रहे हैं कि जिसमें साफ तौर से दिख रहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने बेफिक्र होकर बकरीद का त्योहार सेलिब्रेट किया, लेकिन राहुल गांधी  को न जानें कहां से सूचना मिली है कि जम्मू कश्मीर में हिंसा हो रही है। राहुल गांधी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में हिंसा की खबरें हैं, वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि पीएम मोदी कश्मीर का सच लोगों को बताएं, उन्होंने कहा कि पीएम बताएं कि कश्मीर में क्या हो रहा है?

पाकिस्तान की मीडिया  ने राहुल गांधी के बयान हथियार बनाकर इस्तेमाल कर लिया । वहां के पत्रकार हामिद मीर ने राहुल के बयान को कोट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिसे किसी भारतीय के लिए दोहराना भी गंवारा नहीं होगा.हैं। इतना ही नहीं  इमरान खान की पार्टी तहरीक ए इंसाफ के सांसद मुराद सईद ने भी राहुल गांधी  के शर्मनाक बयान के वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'इनके अपने लोग जब विरोध कर रहे हैं, फिर भी दुनिया चुप है, सईद मुराद और हामिद मीर का ट्वीट साफ तौर से बता रहा है कि राहुल गांधी  पाकिस्तान और देश के दुश्मनों की आंख की तारे बन गये हैं । चिंदबरम, मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, तमिल नेता वाइको जैसे तमाम लोग पाकिस्तान के भारत विरोधी पोस्टर में छाये हुए हैं।

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