Wednesday, May 24, 2017

चार जून को भारत शौर्य और पाकिस्तान अपनी शर्मिंदगी लेकर उतरेगा # चैम्पियन्स ट्रॉफी2017

एजबेस्टन में एक बार फिर क्रिकेट के बहाने साख का संग्राम और भी कांटे का होगा
उस दिन पाकिस्तान की हंसी मर गई थी, पाकिस्तान क्रिकेट टीम की लाचारी और बेबसी के आलम को बयां करना अमानवीय बर्ताव लग रहा था । ऐसे लगा था कि मरे हुए को और कितना मारें । खिलाड़ियों के कंधे झुके हुए थे, आंखें धंसी हुई थी, चेहरे में नूर का नामों- निशान दूर-दूर तक नज़र नहीं आ रहा था। 
उस दिन मैच के खत्म होने के बाद एक देश के लिए मैदान में हरे लिबास में हताशा ही हताशा बिखरी हुई थी । दर्शक दीर्घा में जो लोग चेहरे पर हरा रंग पुतवा कर आये थे वो मैच के खत्म होने के बाद हार का प्रतीक बन गये । हरे झंडे को लहराने वाले क्रिकेट फैन्स  में उस दिन मैच के बाद हरियाली को उठाने की ताकत खो चुके थे। 
पाकिस्तान की टीम जब आईसीसीस चैम्पियन्स ट्रॉफी 2013 का तीसरा मैच  हारी तो ऐसे लगा जैसे गब्बर सिंह चट्टान पर खड़े होकर  चीख -चीख कह अट्टहास कर रहा हो कि तीनों के तीनों हार गये हा.. हा... हा ...आये थे पांच मैंच खेलने और तीन में ही बाहर हो गये ...ये तो बहुत नाइंसाफी है । उस दिन मानों क्रूर गब्बर ये कह रहा हो कि जब पाकिस्तान के किसी गांव में बच्चा रोता है ना तो मां कहती है कि बेटा सो जा भारत की क्रिकेट टीम पाकिस्तान की टीम को पीट रही है और फिर पाकिस्तान के कई इलाकों में लोग टीवी पर एक साथ लाठी, डंडे और गोलियों की बौछार के साथ बरस पड़ते हैं । ये सब कुछ होता है इंगलैंड के एजबेस्टन में और करीब 6000 से ज्यादा किलोमीटर दूर पाकिस्तान के गांवों की गलियों में मातम परस जाता है और इसके लिए जिम्मेदार था उसका परंपरागत प्रतिद्वंदी भारत ।  

दो हजार तेरह आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी में  पाकिस्तान की टीम के बल्लेबाज किसी एक मैच में  दौ सौ  रन बनाने को तरस गये थे । एक सौ सत्तर, एक सौ सठसठ और भारत के खिलाफ एक सौ पैसठ । पाकिस्तान के शूरवीरों की कहानी और गजब की थी ।  मोहम्मद हफीज ने कुल इकसठ गेंदों का सामना ही कर सके और उनका अधिकतम स्कोर था सत्ताइस रन और औसत करीब साढ़े बारह रन का ।  शोएब मलिक ने कुल तिरपन गेंदों का सामना किया और उनका औसत था साढ़े आठ रन का । उनके तीन बल्लेबाज ऐसे थे जो तीनों मैचों में मिलकर तीस का आंकड़ा पार नहीं कर सके थे। 
वहीं पंद्रह  जून दो हजार तेरह को एजबेस्टन में पाकिस्तान को रौंदने के बार भारत के सूरमा एक नया इतिहास लिखने की दिशा में बढ़ चुके थे । 2013 के उस टूर्नामेंट का जिक्र आते ही दुनिया के सामने शिखर धवन की शौर्य की कहानी याद आ जाती है ।  पांच मैचों में उन्होंने करीब 90 की औसत से दो शतक और एक अर्धशतक की मदद से 363 रन बनाये थे । शिखर मैन ऑफ द सीरीज रहे । टूर्नामेंट के टॉप फाइव बल्लेबाजों में रोहित शर्मा और विराट कोहली छाये रहे । इंगलैंड के विरूद्ध फायनल मैच में रवींद्र जडेजा ने हरफनमौला खेल दिखाकर मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया था । वो टूर्मामेंट के सबसे शीर्ष विकेट टेकिंग गेंदबाज भी रहे । 
बतौर टीम भारत के लिए 2013 की चैम्पियन्स ट्रॉफी कभी ना भूलने वाली ट्रॉफी थी इसमें भारत ने अपने सारे के सारे मैच जीते और महेंद्र सिंह धोनी भारत के ऐसे पहले ऐसे कप्तान बने , जिन्होंने भारत को आईसीसी के  टी-20 विश्व कप, विश्व कप और फिर  चैम्पियंस ट्रॉफ़ी का ख़िताब जितवाया । 
साफ जाहिर है इस बार  4 जून को एजबेस्टन में एक बार फिर जब क्रिकेट की दुनिया के सबसे बड़े रायवल आमने-सामने होंगे तो भारत के सिर पर उसके शौर्य का ताज होगा  और पाकिस्तान अपनी शर्मिंदगी के बोझ तले, बनावटी उत्साह के साथ अपने देश को अपने क्रिकेट पर यकीन दिलाने के लिए जूझ रहा होगा और हरे रंग में सिमटी हर चीज उस दिन सहमी-सहमी होगी । 

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