Monday, May 19, 2008

ये भी खूब रही...

बंकू भैय्या अभी दफ्तर पहुंचकर अपनी सीट को झाड़ पोंछ रहे थे कि हर तरफ लंबाई की चर्चा हो रही थी। बंकू भैय्या परेशान थे ये लंबाई का चक्कर क्या है। बात यहां तक आ पहुंची कि यार कुछ तरीका बताओ कद बढ़ाना है। (व्यक्तित्व का कद नहीं, शऱीर का, वही शरीर जिसे मरने के बाद कोई दफना देता, कोई जला देता ) कोई कह रहा था बाबा रामदेव की मदद ले सकते हैं योग करेंगे, कोई किसी को सुझा रहा था यार गोली खाना शुरू कर दो शायद काम बन जाए। बंकू भैय्या सोच में पड़ गये अचानक लोग लंबे क्यों होना चाहते हैं। सीट को झाड़ पोंछ लिया। अपनी आंखों से आसपास के मस्त माहौल का जायजा लेने की कोशिश की तब जाकर समझ आ गया कि अचानक क्यों चल पड़ा है लंबे होने का ट्रेंड। एक हसी सूरत को देख बंकू भैय्या भी खुद को मुस्कुराने के रोक नहीं पाए और समझ गये चक्कर लंबे होने का। अब बंकू भैय्या से खुलकर सब कुछ मत पूछ लेना । बस इतना जान लो कि संसार में कुछ भी सुंदर है तो वो स्त्री है। गिरगिट भी मौसम को देखकर रंग बदलता है तो मुझे लगता है वो मौसम को स्त्री ही समझता होगा।तभी तो सब के सब अचानक हाईट बढ़ाने में लगे थे। लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो घटाने की सोच रहे थे। क्योंकि उसके बिना जुगाड़ नहीं जमता । बंकू भैय्या जानते हैं मुंह खोलना मतलब एक नई मुसीबत मोल लेना है, लेकिन आदत से मजबूर बंकू भैय्या चुप कैसे रहते । उन्होंने कहा. यार कुछ सामने वाले का बढ़ा दो और अपना एक दो साल घटा लो शायद सेटिंग हो जाए। सवाल तो यहां तक उठा कि सब इतना कुछ कर रहे है, सामने वाले के बारे में सोच रहे है । तरह के तरह के ख्वाब और सपने देख रहे हैं, लेकिन कोई उसके बारे में भी कुछ जानता है। कोई खुद को इस मैंदान का चैंपियन बता रहा था, कोई छाती ठोंक कर खुद को बड़ा खिलाड़ी बता रहा था, कोई तो लग गया गिनवाने में अपनी कामयाबी को। बस हर एक का मकसद एक ही है उछल कर उस हंसी लंबाई छू कैसे भी छू ले...ये भी खूब रही ....

1 comment:

Unknown said...

Nice rao sahib apki kalam aur muskurahat doana lajawab hai.vikash
kandiawali