Saturday, April 20, 2019

दुनिया में धाक मगर मोदी विरोधियों में धकधक

प्रधानमंत्री की गरिमा के विरूद्ध साजिश!    
इस देश ने एक से बढ़कर एक प्रधानमंत्री हुए सबको को उनके हिस्से का सम्मान भी मिला और आलोचना भी । लेकिन क्या नरेंद्र मोदी को उनके हिस्से का  सम्मान मिला?  उलटे आलोचना की जगह वो पिछले पांच साल  एक खास वर्ग की नफरत और घृणा के शिकार बने रहे । इससे पहले जब तक वो गुजरात के मुख्यमंत्री रहे दिल्ली की मीडिया के एक बहुत बड़े वर्ग  ने मोदी को हमेशा विलेन की तरह पेश किया। इसके बाद जब वो प्रधानमंत्री बने एक ऐसा वर्ग सक्रिय हो गया जिसने बाकायदा उनके खिलाफ अभियान छेड़ दिया, इसके लिए कुछ गणमान्य  लोगों ने पुरस्कार लौटाये, कुछ विद्ववानों ने  टॉलरेंस और इनटॉलरेंस जैसे शब्द गढ़े ताकि दुनिया में मोदी शासन को बदनाम किया जा सके। कुछ एक घटनाओं के चलते मॉब लिंचिंग जैसा भयानक शब्द तैयार किया गया, जैसे इससे पहले इस देश में कभी भीड़ ने कुछ किया ही ना हो। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने  मौत का सौदागर, नीच और चौकीदार चोर तक कह दिया। इस  अभियान में देश का एक खास वर्ग जिसमें विपक्ष भी है, मीडिया भी है, बुद्धिजीवी भी हैं, कई एनजीओज हैं और फिर अलग- अलग विचारधारा के कई लोग शामिल हैं, हैरानी होती है ये लोग एक प्रधानमंत्री को लेकर इस बार तरह क्यों  आक्रामक हैं?  बल्कि ये कहें कि ये चुनिंदा तबका मोदी को हमेशा नीचा दिखाने पर आमदा रहा।      

अब इसके ठीक उलट हम दुनिया में मोदी की इमेज को देखे तो हाल-फिलहाल का भारत का कोई भी नेता उनके आसपास नहीं टिकता है । पिछले पांच साल की अपने विदेश नीति के दम पर मोदी ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया तो चीन पर दबाव बनाने में वो कामयाब रहे । चीन की जरा भी चलती तो रूस उन्हें अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान (Order of St Andrew the Apostle ) देता । दुनिया में मोदीनॉमिक्स का डंका ही था कि उन्हें अक्टूबर 2018 में  "सियोल शांति पुरस्कार" से नवाजा गया । सितंबर 2018 में यूएन ने  उन्हें "चैम्पियन ऑफ द अर्थ अवॉर्ड" से नवाजा । वहीं जनवरी 2019 में उन्हें प्रतिष्ठित " फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड" से नवाजा गया तो राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर उनकी जमकर खिल्ली उड़ायी।

मोदी विरोधी चुनावों में उनकी इमेज मुस्लिम विरोधी नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं । भारत में मुसलमान मतदाताओं को मोदी के नाम पर डराया जा रहा है ।  लेकिन इसके उलट पिछले पांच सालों में  दुनिया के मुस्लिम देशों में मोदी सम्मानित करने की होड़ लगी रही । अप्रैल 2016 में सऊदी अरब ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान "किंग अब्दुल्ला अजीज शाह अवॉर्ड", जून 2016 में अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "अमीर अमानुल्लाह खान अवार्ड" से नवाजा । इजराइल के साथ मोदी ने अपने गर्मजोशी का डंका पीटा तो उसके धुर विरोधी फिलीस्तीन ने फरवरी 2018 में  'Grand Collar of the State of Palestine' से सम्मानित किया । हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान "जायेद मेडल" दिया । मुस्लिम देशों में मोदी की धाक ही है कि पांच सालों में हज का कोटा 46 प्रतिशत बढ़ गया पाकिस्तान से ज्यादा भारत के मुसलमान अब हज यात्रा पर हर साल जा सकेंगे ।

पिछले पांच साल में दुनिया भर से मिले सम्मान मोदी की  दुनिया में जो धाक की कहानी बयां कर रहे हैं । लेकिन अब  आप खुद इसका आंकलन करें वो क्या देश के भीतर उन्हें उनके हिस्से का सम्मान मिला तो जवाब होगा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई देवदूत नहीं कि उनसे और उनकी सरकार से गलतियां ना हुई हो। आलोचना होनी चाहिए और हो भी रही है ये अच्छी बात है लेकिन जिस तरह से चुनावों में  सार्वजनिक मंचों पर उनकी निजी जिंदगी को घसीटा जा रहा है, अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, तथ्यहीन आरोप लगाने का अभियान जारी है उससे ये बात पुख्ता होती है एक तबका है जो मोदी को नीचा दिखाने पर आमदा है और आलोचना की आड़ में उन्हें नीचा दिखाने की हद तक आमादा हो रहा है ।  मोदी विरोध में ऐसे लोगों ने साजिश के तहत भारत के प्रधानमंत्री की गरिमा को भी नुकसान पहुंचाया है ।          

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