अपनी बातों को रखने से पहले मैं ये स्पष्ट कर देना
चाहता हूं कि मैं कोई अर्थशास्त्र का विद्वान नहीं हूं, हां अनुभव और व्यवहारिक
ज्ञान से जो मेरे संज्ञान में आया उससे सरकार और वित्त मंत्री को अवगत कराना मेरा
कर्तव्य है और अपेक्षा भी।
1- टैक्स जुटाने के नये स्रोत – इस देश में अभी भी बहुत सारे ऐसे क्षेत्र है जिनसे
टैक्स वसूलने के सरकार के पास कोई कारगर और वैज्ञानिक तरीके नहीं है। जैसे कि
प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर । भारत के गांव से लेकर महानगरों तक प्राइवेट
प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टर पूरा लेने-देने
कैश में करते हैं। इसी तरह सिविल इंजीनियरिंग से लेकर इंटीरियर डिजाइनिंग का काम
करने वाले लोग है। बहुत सारे हाई प्रोफाइल कारीगर है, हाईप्रोफाइल मैकेनिक हैं, बड़े बड़े ठेकदार हैं,
मटेरियल सप्लायर है, कोचिंग सेंटर और ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर और प्रोफेसर हैं।
बहुत सारे वकील और सीए ऐसे हैं जो मोटी रकम अपने क्लाइंट से वसूलते हैं लेकिन
टैक्स के नाम पर सरकार को उसका हिस्सा नहीं मिलता। इसके अलावा ऐसे कई प्रोफेशन है
जिसमें व्यक्तिगत तौर कमाई मोटी है लेकिन उनसे टैक्स वसूलने का ऐसा कोई मैकेनिज्म
कभी फक्शन में आया नहीं। सरकार को ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें टैक्स के
दायरे में लाने के मैकेनिज्म के बारे में जरूर कदम उठाना चाहिए।
2- राष्ट्र का तन और मन बेहतर होगा तो धन आएगा ही - स्वास्थ्य और शिक्षा के
क्षेत्र में अभी भी सरकार को बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है ताकि किसी भी
भारतीय को इस मामले में भेदभाव का सामना ना करना पड़े। इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार
लें। इस क्षेत्र में बजट आवंटन के साथ-साथ उसका सही उपयोग हो इसके बारे में भी वित्त
मंत्रालय कोई प्रणाली विकसित करें ।
3- भारत की नये सिरे से दुनिया में न्याय पूर्ण ब्रांडिंग हो – पिछले 70 साल से
दुनिया भर में हमारी ब्रांडिंग ताजमहल और लालकिले तक ही सीमित है। सपेरो और
मदारियों वाली छवि साजिश के तरह भारत की बनाई गई है तो क्यों ना हम भारत की प्राचीन
स्थापत्य कला, वैभव शाली मूर्तिकला, अद्भुत कर देने वाली वास्तुकला, बेजोड़ चित्रकला,
शानदार बुनकर, वस्त्रकला, अस्त्र-शस्त्र विद्या जैसे तमाम ज्ञान को उभारें। इस
क्षेत्र में शिक्षा का भी अवसर है, रोजगार का भी अवसर है और सबसे ज्यादा
पर्यटन उद्योग का और कमाई का। सरकार को इस दिशा कुछ क्रांतिकारी करना चाहिए
क्योंकि भारत में प्राचीन वैभव और ज्ञान बिखरा पड़ा है और हम सपेरों और मदारियों
की छवि को ढोने को मजबूर हैं। उस पर दुर्भाग्य ये हैं कि भारतीय ही भारतीय वैभव से अनजान है। जैसे की हम्पी,
तमिलनाडु के विशाल मंदिर, दुनिया को बताने की जरूरत है संसद भवन का नक्शा भी मुरैना
के योगिनी मंदिर से प्रेरित मालूम पड़ता हैं।
4 - वैदिक
विश्वविद्यालय और शोध संस्थान – अपेक्षा है, आशा है और प्रार्थना है कि भारत के
वैदिक ज्ञान को एक विश्वविद्यालय का रुप देकर उसे बचाया जाय, संऱक्षित, संवर्धित हो
और शोध को बढ़ावा मिले । उसमें वेद हो, आयुर्वेद हो, योग हो, मानवता हो, प्राचीन
वैदिक स्थापत्य, मूर्तिकला, प्राचीन टैक्सटाइल, तमाम प्राचीन भारतीय ज्ञान पर नये सिरे से वैज्ञानिक तर्कों के साथ शोध हो। इस क्षेत्र में
रोजगार, व्यापार के नये अवसर तलाशे जाये।
5 - टैक्स पेयर का सम्मान हो – सबसे बड़ी और सबसे अहम बात ये है जिसके पैसों से
सरकार चल रही है उस आदमी को, उसके योगदान को कहीं ना, कहीं किसी ना किसी तरह सम्मान
सुनिश्चित किया जाये। उसके धन के बदले उसे कम से कम अपमान ना मिले इसकी गारंटी लें
सरकार। टैक्स पेयर के अंदर स्वामित्व का
भाव विकसित हो और तमाम नेताओं औऱ सरकारी कर्मचारियों को ये पता हो कि देश
टैक्सपेयर के पैसे से चल रहा है और हम सब उनके प्रति कृतज्ञ हैं। इससे टैक्सपेयर
का हौंसला बढेगा और लोगों आगे आकर टैक्स देंगे और कहेंगे -
“ नाचीज के हौसले में जितना इजाफा होगा-जमाने में शोहरत और सुकून का उतना ही इजाफा होगा”
“ नाचीज के हौसले में जितना इजाफा होगा-जमाने में शोहरत और सुकून का उतना ही इजाफा होगा”
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