Saturday, April 1, 2017

शौक, शराब और सिम ने लूट लिया चरित्र!

सब ठीक है लेकिन .. पार्ट-8


31 मार्च 2017 का मेरा पहला वाक्या - शौक
बीएस-चार मानक वाले वाहनों के लिए जो ईंधन चाहिए वह काफी स्वच्छ होता है । इस प्रकार के ईंधन का उत्पादन करने के लिए रिफाइनरी कंपनियों ने 2010 के बाद करीब 30,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं । सो सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बीएस-4 मानक एक अपैल से पूरी तरह लागू हो ।  सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती को ग्राहकों ने जमकर कैश किया । ऑटोमोबाइल कंपनियों ने 31 मार्च तक सारे बीएस-3 मानक वाले वाहन निकालने के चक्कर में दाम क्या घटाये शोरूम्स में भारी भीड़ लग गई । गाड़ी लेने वाले ज्यादातर पढ़े- लिखे और मध्यमवर्गीय लोग है,  ये वो लोग है जो भारत की तकदीर गढ़ते हैं , इन्हे पता हैं कि बीएस-3 मानक का प्रभाव वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए  कितना खतरनाक है । लेकिन सस्ते के चक्कर में  वाहन हासिल करने की इस वर्ग की होड़ देखकर ये तो यकीन के साथ कह सकते है  कि सब ठीक है कि सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के स्वास्थ्य को व्यवसायिक हितों से ज्यादा तरजीह दी लेकिन शौक भी कोई चीज होती है और शौक में लोग अपनी जान की बाज़ी लगा देते है तो लोगों कर दिया अपने बच्चों की जान लेने का इंतजाम ।

31 मार्च 2017 का मेरा दूसरा वाक्या - शराब

मैं अपने एक मित्र के साथ शाम को अपने शहर शहडोल की सैर पर निकला तो देखा कि शराब की दुकानों पर भारी भीड़ , जिसमें  किशोर, नौजवान,अधेड़, शहरी- ग्रामीण , अमीर -गरीब कुल मिलाकर हर तरह के लोगों को एक बोतल हासिल करने के लिए  एक के ऊपर एक चढ़े देखकर हैरान रह गया  । शहर में नवरात्री का उत्सव भी चल रहा है सो जितनी भीड़ मंदिरों में दिखी उतनी ही शराब के ठेकों पर । मैंने उत्सुकतावश अपने मित्र से पूछा ऐसा क्यों ? तो उसने तपाक से बोला भाईसाहब एक अप्रेल से नया ठेका शुरू होगा । सो पुराने ठेकेवाले अपना स्टॉक खत्म कर रहे हैं और सस्ते के चक्कर में शराब के शौकीन इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहते । अब आप सोचिए नवरात्री में अंडा और मांस त्यागने की बात करनेवाले समाज में सस्ती शराब हासिल करने की होड़ । तो मानते हैं ना नवरात्री की मान्यताएं वगैरह सब ठीक है लेकिन कहीं धर्म गंवाने के गम को हलका करने की दवा भी ना गवां बैठे ।

31 मार्च 2017 का मेरा तीसरा वाक्या - सिम

जियो सिम की प्राइम मेंबरशिप हासिल करने की आखिरी तारीख 31 मार्च थी तो मोबाइल की दुकानों में सस्ता और सुपरफास्ट डेटा इस्तेमाल करने वालों की भारी भीड़ थी । शुक्रवार तक करीब सवा सात करोड़ लोगों ने जियों की सब्सक्रिप्शन हासिल कर ली है । भीड़ का जोश  देखकर मुकेश अंबानी को भी जोश आ गया उन्होंने तारीख बढ़ा कर 15 अप्रेल कर दी । अरे भई ये डिजीटल दौर का टशन है सब ठीक है लेकिन डर एक बात का है ये कारोबारी पहले मुफ्त की लत लगाते हैं फिर लत से लूटने का इनका पुराना शगल रहा है
तो आर्थिक वर्ष का क्लोजिंग दिन शौक, शराब और सिम की होड़ के नाम रहा, लूट मची थी जिसको जहां से मिला उसने वहां लूटा,  उपभोक्तावाद के नाम पर तो ये सब ठीक है लेकिन सोचिएगा जरा इस दौरान एक देश, उसके समाज का चरित्र कितना ज्यादा लुट गया ।    

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