Sunday, April 16, 2017

गोरेपन का बाजार, कुंठा पे कारोबार

मॉडल और एक्टर सोनल सहगल ने एक वीडियो बनाकर गोरेपन का झूठ बेचने वाली इंडस्ट्री का काला सच खोलकर कर रख दिया है । उन्होंने बताया कि कैसे अपने करियर के शुरूआती दिनों में फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन में काम करके उन्होंने झूठ को बेचा । सोनल कहती है कि कोई भी क्रीम किसी काले को गोरा नहीं कर सकती । वो अपने फेसबुक पोस्ट पर  लिखती है कि मैंने कई सांवली लड़कियों को धोखा दिया । और वो ये भी बताती है 14 साल पहले जब वो मुंबई में करियर बनाने आई थी तो उन्हें पैसों की जरूरत थी, मॉडलिंग और एक्टिंग में करियर बनाना चाहती थी । सोनल ने ये पोस्ट तब लिखी जब उन्हें ये पता चला कि अभिनेता अभय देओल ने ने गोरेपन का दावा करने वाली क्रीम के विज्ञापनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । दिलचस्प बात ये हैं कि इस झूठ के विज्ञापन में शाहरुख खान, दीपिका पादुकोन जैसे कई दिग्गज फिल्मी हस्तियां शामिल हैं ।
फेयरनेस क्रीम का बाजर करीब 20 मिलियन से ज्यादा का है । इन कंपनियों ने समाज में फैले काले और गोरे के नस्ली भेदभाव की बुराई को अच्छे से कैश किया । इस भाव को इन कंपनियों ने आत्मविश्वास और काबिलियत से जोड़ दिया । यही नहीं गोरेपन को सफलता सूत्र तक साबित कर दिया । नस्ली भेदभाव के खुल्लम -खुला कारोबार में सरकारों का मौन हैरान करने वाला रहा ।
इसके मूल में जाये तो सबसे बड़ा कारण जो समझ आता है वो है लाभोन्मादी अर्थव्यवस्था का है । जिसका मतलब अधिकतम फायदे के लिए मानव मन की कमजोरियों को पकड़ कर उसे फैलाया जाय और हताश लोगों का  बाजार तैयार किया जाय । कुंठा का ये एक ऐसा कारोबार है जिसने पूरी दुनिया में सद्भभाव के ताने-बाने को भी गहरी चोट पहुंचायी । इन विज्ञापनों ने मानव तन को घटिया बताया,  मन को हताश किया और जमकर धन लूटा । जबकि अर्थव्यवस्था का स्वरूप ऐसा हो जिसमें तन को स्वस्थ करने की भावना हो , मन को सुख मिले और धन ऐसा हो जो समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी हो,  जब तक इस दृष्टिकोण के साथ कारोबार नहीं होगा गोरपन का गोरखधंधा यूं ही अनवरत चलता रहेगा क्योंकि लोभ की सीमा अनंत है जिससे सरकारें भी अछूती नहीं हैं ।

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